विश्वास

1948 व 1965 के युद्ध में संघ का सेवा भाव और समर्पण देखकर तो पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री भी मुग्ध हो गए थे। तभी तो पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता दिवस की परेड में संघ के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया था।

शुभम वैष्णव

अरे! कुटकाराम जी यह दूरबीन लगाकर क्या देख रहे हो, किसकी तलाश की जा रही है? छप्पन लाल ने कुटकाराम जी की खिंचाई करते हुए कहा। अरे छप्पन लाल जी उन लोगों को ढूंढ रहा हूं जो कल तक गरीबों के न्याय की बात करते थे, आज सब न जाने कहां गायब हो गए। ये वही लोग हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दिन रात कोसते रहते हैं। परंतु ये लोग भूल जाते हैं या फिर जानबूझकर बताते नहीं कि जब भी देश पर कोई संकट आया है तब तब संघ का कार्यकर्ता निस्वार्थ भाव से अपना सेवा भाव का संकल्प पूर्ण करता दिखा है। बाढ़, आपदा, विपदा, युद्ध व महामारी हर परिस्थिति में संघ का कार्यकर्ता राष्ट्र सेवा के लिए तत्पर रहता है।

1948 व 1965 के युद्ध में संघ का सेवा भाव और समर्पण देखकर तो पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री भी मुग्ध हो गए थे। तभी तो पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता दिवस की परेड में संघ के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया था।

काफी देर से दूरबीन लेकर देख रहा हूं, ये कोसने वाले कहीं नजर नहीं आ रहे? देखिए आज संघ का कार्यकर्ता तो गरीबों एवं पीड़ितों तक रोटी, अनाज और राशन पहुंचा रहा है जबकि ये न जाने कहॉं हैं।

ये लोग जो आतंकवादियों को जी कहकर संबोधित करते हैं और संघ को गालियां देते हैं। इनकी नजरों पर तो वोट बैंक की काली पट्टी बंधी है। सच तो यह है कि हाथी के दांत खाने के अलग और दिखाने के अलग होते हैं। ये लोग गालियां दे सकते हैं। दलदल की राजनीति कर सकते हैं पर निस्वार्थ भाव से किसी की सेवा नहीं कर सकते क्योंकि नफरत की राजनीति से ही तो इनके घर चलते हैं। भारत चीन युद्ध के समय भी कुछ लोगों के लाल कारनामे उजागर हुए थे।

वैसे भी देश के लोगों को इन लोगों पर विश्वास हो ना हो, परंतु संघ की कार्य शक्ति, कर्मठता, समर्पण पर पूर्ण विश्वास है।

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