वुहान इंस्टीट्यूट के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग : फिर तो दाऊद को भी पद्मश्री मिलना चाहिए (व्यंग्य)
आकाश शर्मा ‘नयन’
घर में जब कोई बच्चा गलती करता है तो उसे डांट पड़ती है या कम से कम उसकी गलती को प्रोत्साहित तो नहीं ही किया जाता है। लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने यहॉं हुई एक बहुत बड़ी गलती पर सिर्फ प्रेम की बौछार ही नहीं की है बल्कि उसे पुरस्कृत करने की घोषणा भी कर दी है।
दरअसल, चीन पूरी दुनिया को कोरोना वायरस के रूप में तबाही का मंज़र दिखाने वाले वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी के लिए प्रशंसाओं का पुलिंदा तैयार कर चुका है। यदि बात यहीं पर समाप्त हो जाती तो शायद अधिक अच्छा होता। लेकिन चीन ने वुहान की इस लैब के लिए दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक नोबेल पुरस्कार तक की मांग कर डाली है। इसके लिए उसे नामित किया गया है।
…. और यह ठीक वैसा ही है जैसे मुंबई बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड दाऊद इब्राहिम को ‘शानदार बम धमाके’ करने के लिए पद्मश्री देने की मांग की जाए या फिर लुटेरे विजय माल्या को देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल मांगा जाए और देश में मतांतरण करा रहे ‘जिहादियों’ को ‘फ़िल्मी स्टाइल’ में काम करने के लिए दादा साहब फ़ाल्के या ऑस्कर अवार्ड देने के लिए लॉबीइँग की जाए।
हालांकि चीन ने जिस तरह से वुहान लैब के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की है उसे अधिक ग़लत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि कोरोना वायरस का नाम भी तो नॉवेल कोरोना वायरस ही है और कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में लॉक डाउन था, जिसके कारण भले ही पूरा विश्व आर्थिक मंदी से गुजरा हो और लाखों लोगों की जानें गई हों। लेकिन सभी को यह सोचना चाहिए कि लॉकडाउन से ही समूचे विश्व में शांति भी फैली हुई थी। इसलिए चीन की मांग को सही ठहराते हुए वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को शांति का नोबेल पुरस्कार तो दे ही देना चाहिए।