वेब सीरीज समीक्षा – गुल्लक
डॉ. अरुण सिंह
नब्बे के दशक की याद दिलाती, जीवन के चुटीलेपन व गुदगुदेपन से सिक्त है “गुल्लक” वेब सीरीज़। किसी भी उत्तर भारतीय परिवार में यह परिदृश्य देखा जा सकता है। विद्युत विभाग में कार्यरत पिता, गृहिणी माता, और दो लड़के। एक कानाफूसी करने वाली पड़ोसन है, बिट्टू की मम्मी, जिसकी चुटकियां और कटाक्ष उसी को भारी पड़ते हैं। यहाँ जीवन के अभाव में ही परिपूर्णता है और इस अभावयुक्त परिपूर्णता का भरपूर आनंद लिया जाता है छोटे छोटे दैनिक कार्यों में, अभिलाषाओं के प्रस्फुटन में। अन्नू और अमन का झगड़ा सच में शुद्ध हास्योत्पादक है। पति-पत्नी की नोक-झोंक और मान-मनुहार हर परिवार का अभिन्न अंग है। माँ शांति का अन्नू का डांटना और छोटे बेटे अमन का पक्ष लेना सामान्य परिवारों में मिल ही जाता है पर गृहिणी का परिवार और रिश्तेदारों के प्रति समर्पण ही भारतीय परिवार की विशेषता है। परिवार की धुरी है शांति। परिवार की एकात्मकता की परिपाटी पर खरी उतरती है यह वेब सीरीज़। आजकल पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में निष्ठा व समर्पण जैसे गुण कहीं खो से गए हैं। वेब सीरीज इस मुद्दे पर बहुत ही शिक्षाप्रद है। करियर में असफलता को जीवन से अधिक न मानना भी सिखाती है यह फ़िल्म। सभी कलाकारों का बेजोड़ अभिनय फ़िल्म को सफल सिद्ध करता है। अमृत राज गुप्ता का मंझा हुआ निर्देशन है।
समीक्षा का बेजोड़ रूप है सर।
सदैव आपसे सीखने का अवसर मिलता है ।