शिवाजी जैसे संस्कार प्रत्येक बालक को मिलने चाहिए- गंगवाल

शिवाजी जैसे संस्कार प्रत्येक बालक को मिलने चाहिए- गंगवाल

शिवाजी जैसे संस्कार प्रत्येक बालक को मिलने चाहिए- गंगवालशिवाजी जैसे संस्कार प्रत्येक बालक को मिलने चाहिए- गंगवाल

जयपुर। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी साम्राज्य के 350वें वर्ष के गौरवशाली अवसर पर जयपुर के CCNT इंस्टीट्यूट में “स्वराज की प्रत्यक्ष अनुभूति” विषयक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. आभा गंगवाल (सेवा निवृत सह आचार्या) ने काव्य के माध्यम से शिवाजी के बचपन को रेखांकित किया और कहा कि शिवाजी जैसे संस्कार प्रत्येक बालक को मिलने चाहिए।

संघ के सह प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अविनाश पंवार ने मुंबई के एक विद्यार्थी के अनुभव का उल्लेख करते हुए कहा कि  एमबीए के उस विद्यार्थी को किसी प्रोजेक्ट पर रिसर्च के लिए किसी गाँव जाना पड़ा। अचानक हुए दंगे से वहां भगदड़ मच गई। एक मुस्लिम महिला अपनी जान बचाने के लिए एक घर में घुस गयी। बाद में जब छात्र ने उससे पूछा कि आप यहां क्यों आईं? तो उसने बोला कि इस घर में शिवाजी महाराज का चित्र लगा हुआ था। डॉ. पंवार ने शिवाजी महाराज के पराक्रम को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन में 300 युद्ध लड़े और एक भी नही हारे। यह दर्शाता है कि वे कितने बड़े पराक्रमी व राजनीतिज्ञ थे। उनका राज्यारोहण 16 जून 1674 को हुआ था। तभी से वे देशभक्ति के साथ देश की सेवा में तत्पर हो गए। एक बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने भी कहा था कि शिवाजी महाराज दुनिया के श्रेष्ठ महापुरुषों में से एक हैं। शिवाजी महाराज ने उर्दू व फारसी भाषा के शब्दों को बदल कर संस्कृत भाषा का प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई के जीवन के कई किस्सों पर विस्तार से चर्चा की। कैसे एक माँ ने बचपन से ही अपने पुत्र में देश भक्ति का बीज बो दिया था।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने महिलाओं की जिज्ञासा का समाधान भी किया। सूर्य नारायण सैनी (संघ चालक, गोपाल नगर) ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दर्शना जैन ने किया एवं मंगल गीत की प्रस्तुति अनामिका गोधा के द्वारा की गई।

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