श्री मंडैक्काडु भगवती मंदिर में माघ माह में होने वाले आयोजन रोकने का प्रयास

श्री मंडैक्काडु भगवती मंदिर में माघ माह में होने वाले आयोजन रोकने का प्रयास

श्री मंडैक्काडु भगवती मंदिर में माघ माह में होने वाले आयोजन रोकने का प्रयासश्री मंडैक्काडु भगवती मंदिर में माघ माह में होने वाले आयोजन रोकने का प्रयास

भारत में प्राचीनकाल में अनेक स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना की गई। धीरे धीरे ये शक्तिपीठ समाज में लोगों के बीच सामूहिक भाव जाग्रत करने, हिंदू चिंतन व सांस्कृतिक विचारों के आदान प्रदान के केंद्र बन गए। तमिलनाडु व केरल के कन्याकुमारी में ऐसे अनेक केंद्र हैं। उनमें से एक है श्री मंडैक्काडु भगवती मंदिर। आज यह षड्यंत्रों के घेरे में है। यहॉं आयोजित होने वाली गतिविधियों को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। हैन्दव सेवा संघ व वहां का हिन्दू समाज इसका विरोध कर रहा है। हैन्दव सेवा संघ की स्थापना 86 वर्ष पहले इलंकत्तु वेलायुधन पिल्लै ने की थी। उस समय कन्याकुमारी जिले में बहुत तेजी से मतान्तरण चल रहा था, उसे रोकने, हिन्दुओं के बीच एकता बनाने व हिन्दू संस्कृति के प्रचार प्रसार हेतु संघ की स्थापना की गई थी।

मंडैक्काडु भगवती मंदिर में प्रति वर्ष माघ महीने में एक उत्सव का आयोजन किया जाता है, जो 10 दिनों तक चलता है। इस उत्सव में केरल, विशेषकर “कोल्लम” जिले और तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों से भी देवी के दर्शन के लिए लोग आते हैं। हर महीने की पूर्णिमा के दिन यहॉं विशेष पूजा होती है। मंदिर के पास में ही हिन्दू जागरण हेतु सम्मेलन आयोजित करने की प्रथा भी गत 86 वर्षों से चल रही है। इस सांस्कृतिक सम्मेलन में सरदार वल्लभभाई पटेल, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, मुथुरामलिंग तेवर और तमिल विद्वान पो. शिवज्ञानम जैसे महान व्यक्ति शामिल हो चुके हैं।

इस बार तमिलनाडु सरकार के एचआरएनसी अधिकारीगणों और सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनोज तंगराज की योजना से सम्मेलन को रोकने के प्रयास किए गए, एक आदेश भी निकाला गया। हैन्दव सेवा संघ इसका विरोध कर रहा है। कन्याकुमारी जिले में रहने वाले हिन्दू समाज के लोगों ने जिलाधीश और जिला पुलिस अधिकारियों को विरोध स्वरूप ज्ञापन दिया है।

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