संघ की शाखा खेल का स्थान मात्र नहीं, यह संस्कार पीठ है

संघ की शाखा खेल का स्थान मात्र नहीं, यह संस्कार पीठ है

संघ की शाखा खेल का स्थान मात्र नहीं, यह संस्कार पीठ हैसंघ की शाखा खेल का स्थान मात्र नहीं, यह संस्कार पीठ है

जोधपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि संघ की शाखा खेल का स्थान मात्र नहीं है, यह संस्कार पीठ है। यह तरुणों को अनिष्ट व्यसनों से मुक्त रखने, सज्जनशक्ति को निर्भय होकर रहने और समाज पर आने वाली विपदा में निरपेक्ष भाव से त्वरित सेवा मिलने का आशाभाव है।

वे रविवार सुबह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जोधपुर महानगर के रातानाडा स्थित पोलो ग्राउंड में संपन्न शाखा संगम कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया वर्तमान में भारत की तरफ देखती है और भारत हिन्दू की तरफ देख रहा है। उन्होंने समाज परिवर्तन, समरसता, पर्यावरण, बस्ती विकास, कुटुंब प्रबोधन, धर्म जागरण और सज्जन शक्ति, सुप्त शक्ति जागरण जैसे कार्यों की आवश्यकता पर बल दिया।

तप और त्याग से आगे बढ़ा संघ

क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि संघ की स्थापना एक शाखा से शुरू हुई। उस समय विपरीत परिस्थितियों में भी संघ के कार्यकर्ताओं ने संघ कार्य को आगे बढ़ाया, जिसको हमें ध्यान में रखना चाहिए। संघ स्वयंसेवकों के तप और त्याग से आगे बढ़ा। नए लोग संघ की ख्याति सुनकर आते हैं। डॉ. हेडगेवार ने जैसा सोचा वैसा ही संघ का निर्माण किया।

संघ को समय दें

निम्बाराम ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने असहयोग आंदोलन तथा जंगल सत्याग्रह में भाग लेते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा दो बार जेल भी गए। एक वर्ष के जेल के जीवन में उन्होंने चिंतन किया कि सशक्त व वैभवशाली हिंदू समाज कैसे विदेशी आक्रांताओं के चंगुल में फंस गया और अब अंग्रेजों के जाने के बाद वह कैसे सशक्त रूप से खड़ा हो। इसके लिए उन्होंने संघ की स्थापना की। संघ दो वर्ष बाद शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है। अत: संघ कार्य के लिए अधिक समय दें।

शाखा संगम की जानकारी देते हुए महानगर प्रचार प्रमुख लेखाराम बिश्नोई ने बताया कि संगम में जोधपुर महानगर के सभी 18 नगरों की व्यवसायी शाखाओं व दैनिक मिलन के स्वयंसेवकों ने भाग लिया। शाखा स्तर पर ध्वजमंडल सज्जा प्रतियोगिता, शारीरिक कार्यक्रम जैसे योग, व्यायाम, समता, खेल व बौद्धिक कार्यक्रम जैसे सुभाषित, अमृत वचन, गीत, व प्रार्थना आदि का आयोजन किया गया।

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