आगामी एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य : डॉ. मनमोहन वैद्य
आगामी एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य : डॉ. मनमोहन वैद्य
- कोरोना काल के बाद से देश में बढ़ा है संघ का कार्य
- स्वयंसेवकों ने कोरोना काल में की साढ़े पांच लाख लोगों की सेवा
- 109 स्थानों पर होंगे संघ के शिक्षा वर्ग, 20 हजार स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण लेने का अनुमान
पानीपत, 12 मार्च। समालखा के पट्टीकल्याणा स्थित सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्पित कर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ किया। अ. भा. प्र. सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। प्रतिनिधि सभा के शुभारंभ के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भूमिका निभा रहा है। अगले एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है। वर्ष 2020 में आई कोरोना आपदा के बाद भी संघ कार्य बढ़ा है। 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थी। 2023 में यह संख्या बढक़र 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन तथा 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है। संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं। शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि सारे भारत का सारा समाज एक है, सब समान हैं, सब मेरे अपने हैं, मुझे समाज के लिए कुछ देना है, ऐसे विचारों की अनुभूति व संस्कार संघ की शाखा से आते हैं। संघ के स्वयंसेवक अपने दैनिक कार्यों में से समय निकालकर तथा अपनी जेब से पैसा खर्च कर समाज परिवर्तन में योगदान देते हुए संघ कार्य का विस्तार करते हैं। संघ की शाखा से व्यक्ति निर्माण होता है, जो आगे चलकर समाज में राष्ट्रीय विचारों का जागरण व समाज को साथ लेकर समाज परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। लोग संघ को ढूंढ़ते हुए डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से संघ के साथ जुड़ने के लिए निवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से 2022 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ के पास 7,25,000 निवेदन आए हैं। इनमें से अधिकांश 20 से 35 आयु वर्ग के युवक हैं, जो समाज सेवा के लिए संघ से जुड़ना चाहते हैं। दैनिक शाखाओं में भी युवाओं की रुचि बढ़ रही है। संघ की 60 प्रतिशत शाखाएं विद्यार्थी शाखाएं हैं। पिछले एक वर्ष में 121137 युवाओं ने संघ का प्राथमिक शिक्षण प्राप्त किया है। आगामी वर्ष की योजना में देशभर में संघ शिक्षण के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवकों के शिक्षण प्राप्त करने का अनुमान है। उन्होंने संघ के शिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि संघ के प्रथम वर्ष में 15 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक, द्वितीय वर्ष में 17 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक तथा तृतीय वर्ष में 25 से 40 आयु वर्ग के स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 40 से अधिक आयु के स्वयंसेवकों के लिए विशेष प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए जाते हैं।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि यह भगवान महावीर निर्वाण का 2550 महोत्सव वर्ष हैं, आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्म के 200 वर्ष तथा शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन तीनों के संदर्भ में भी प्रतिनिधि सभा में वक्तव्य पारित होंगे।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के अमृतकाल को ध्यान में रखकर एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा।