संयुक्त निदेशक, कॉलेज शिक्षा, राजस्थान के पद पर आरएएस की नियुक्ति का विरोध

संयुक्त निदेशक, कॉलेज शिक्षा, राजस्थान के पद पर आरएएस की नियुक्ति का विरोध

संयुक्त निदेशक, कॉलेज शिक्षा, राजस्थान के पद पर आरएएस की नियुक्ति का विरोधसंयुक्त निदेशक, कॉलेज शिक्षा, राजस्थान के पद पर आरएएस की नियुक्ति का विरोध

नोहर। एबीआरएसएम (अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ), राजस्थान (उच्च शिक्षा) ने 14 फरवरी को पूरे प्रदेश के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में राजस्थान सरकार द्वारा तीन दिन पूर्व आयुक्तालय, कॉलेज शिक्षा राजस्थान, जयपुर में संयुक्त निदेशक के पद पर आरएएस अधिकारी की नियुक्ति का काली पट्टी बांधकर विरोध किया।

संगठन के महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सु ने कहा कि संयुक्त निदेशक पद पर वरिष्ठ प्राचार्य के बजाय आरएएस अधिकारी की नियुक्ति किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है, संगठन इसका प्रखर विरोध करता है। उन्होंने बताया कि बुधवार को पूरे प्रदेश के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में संगठन की इकाइयों के नेतृत्व में भारी संख्या में शिक्षकों द्वारा काली पट्टी बाँधकर तथा नारे लिखी पट्टियों के साथ विरोध प्रदर्शन किया गया। इसी क्रम में नोहर में नर्बदादेवी बिहानी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नोहर, राजकीय कन्या महाविद्यालय, नोहर एवं राजकीय कृषि महाविद्यालय, नोहर के समस्त स्टाफ ने भी काली पट्टी लगाकर इसका विरोध किया।

महामंत्री ने कहा कि यह नियुक्ति सरकार के जन घोषणा पत्र के पूर्णतः विरुद्ध है, घोषणा पत्र में प्रदेश के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वतन्त्रता और स्वायत्तता को सुनिश्चित किये जाने की वचनबद्धता थी। सरकार की 31 जनवरी 2018 एवं 14 अक्टूबर, 2022 को प्रसारित अधिसूचना में भी स्पष्ट नियम है कि संयुक्त निदेशक के पद पर केवल प्राचार्य को ही नियुक्त जा सकता है, किन्तु अब स्थानान्तरण द्वारा संयुक्त निदेशक के पद पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है। इससे प्रदेश में कॉलेज शिक्षा का अकादमिक और शैक्षिक ढांचा पूरी तरह से अस्त व्यस्त होने की संभावना है। डॉ. बिस्सु ने बताया कि संगठन ने पहले ही राज्य के उच्च शिक्षा के प्रशासनिक ढांचे और उस विषय में राज्य भर के शिक्षकों की भावना से सरकार को अवगत करा दिया था, तथापि तय नियमों, विहित परम्पराओं और उच्च शिक्षा के लिए अपेक्षित पात्रताओं तथा संगठन के तत्सम्बन्धी सतत प्रतिरोध की घोर उपेक्षा करते हुए सरकार ने हठधर्मिता और दुराग्रहपूर्ण जो यह कुत्सित निर्णय लिया है, वह राजस्थान की उच्च शिक्षा के लिए आत्मघाती कदम है। राजस्थान का शिक्षक इन कुठाराघातों का मूकदर्शक नहीं रहेगा। संगठन का मत है कि शिक्षा जैसे संवेदनशील तंत्र के संचालन को उच्च शिक्षा क्षेत्र के विशिष्ट अनुभवी शिक्षकों के हाथ से छीन कर पूर्णतया प्रशासनिक तन्त्र के अधीन करना निश्चित रूप से राज्य की उच्च शिक्षा के लिए प्रतिगामी कदम होगा।

संगठन के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार शर्मा ने कहा कि कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय में संयुक्त निदेशक के पद पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की नियुक्ति न केवल राज्य सरकार के अपने ही प्रावधानों के विपरीत है, अपितु नैसर्गिक न्याय की भावना के विरुद्ध भी है, क्योंकि इससे पदानुक्रम व अनुभव की दृष्टि से कनिष्ठ अधिकारी अपने से वरिष्ठ प्राचार्य व शिक्षक अधिकारियों को प्रशासित करेंगे। इस अवैधानिक और अनुचित निर्णय से उच्च शिक्षा में सेवारत अनुभवी शिक्षकों का मनोबल और कार्य क्षमता प्रभावित होने से राज्य का शैक्षिक पर्यावरण दुष्प्रभावित होने की संभावना है। उन्होंने माँग की कि राजस्थान सरकार संयुक्त निदेशक पद पर  आरएएस अधिकारी के पदस्थापन को अविलम्ब निरस्त कर किसी वरिष्ठ प्राचार्य को नियुक्त करे अन्यथा आज काली पट्टी बांधकर किये गये विरोध प्रदर्शन से प्रारम्भ हुआ, यह आन्दोलन थमेगा नहीं, अपितु राज्य की उच्च शिक्षा में नौकरशाही के अनावश्यक, अनुचित और अवैधानिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए उच्चशिक्षा शिक्षक समुदाय आगे भी बहु आयामी आन्दोलन करेगा।

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