संयुक्त परिवार : बिटिया के विवाह में कुछ करना ही नहीं पड़ा
पहले तो मैं अपने परिवार की पृष्ठभूमि के बारे में बताता हूं। हम तीन भाइयों के परिवार में 9 लोग एक साथ रहते हैं। एक भाई व उसकी धर्मपत्नी गांव में माताजी पिताजी के साथ रहते हैं। उनके दोनों बच्चे हमारे पास रहते हैं।
पिताजी माताजी गांव से आते जाते रहते हैं। भाइयों में मैं सबसे बड़ा हूं। संयुक्त परिवार के महत्व का मुझे सबसे पहला अनुभव तब हुआ जब मेरी बिटिया का विवाह 2017 में हुआ। तब ध्यान में आया की संयुक्त परिवार के कारण मुझे कुछ करना ही नहीं पड़ा। किसी भी प्रकार की चिंता मेरे जिम्मे नहीं थी। मुझे यह पता ही नहीं चला कि यह यज्ञ कैसे सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया।
समय-समय पर यह भी अनुभव में आया कि जब हम बाहर जाते हैं संगठन के कार्य से या पर्यटन से तो पीछे कोई चिंता नहीं रहती है कि घर कौन संभालेगा, कौन रखवाली करेगा। मैं जो भी समय संगठन में दे पाता हूं वह भी संयुक्त परिवार के कारण ही सम्भव हो पाता है।
तीसरा अनुभव मुझे यह आया कि परिवार में बच्चों में एक दूसरे के प्रति आदर सम्मान के जो संस्कार आने चाहिए, वे संयुक्त परिवार के कारण से ही इन बच्चों में आ पाए और अंतिम मेरा जो अनुभव है, वह इस कोरोना पीरियड को लेकर है। इस समय हम 9 लोग एक साथ रह रहे हैं। हमें कभी यह महसूस ही नहीं हुआ कि हमें कहीं बाहर जाना है, हम अकेले हैं। सब लोग मिलकर खेल रहे हैं, अलग-अलग व्यंजन बना रहे हैं, डिस्कशन हो रहा है। ऐसा लग ही नहीं रहा कि हम 2 महीने से तालाबंदी के अंदर घर में ही बंद हैं।
संयुक्त परिवार में रहने से एक दूसरे के प्रति समर्पण, श्रद्धा आदि बातों का निर्माण बच्चों में स्वाभाविक रूप से आता रहता है।
महेंद्र सिंहल