सत्ता की भूखी गुपकार गैंग की घोषणा में कश्मीरी हिंदू क्यों नहीं होते?

सत्ता की भूखी गुपकार गैंग की घोषणा में कश्मीरी हिंदू क्यों नहीं होते?

 विवेक भटनागर

सत्ता की भूखी गुपकार गैंग की घोषणा में कश्मीरी हिंदू क्यों नहीं होते?

गुपकार गठबंधन सत्ता को बचाने के लिए बना है न कि जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली और उसके विकास के लिए। इस घोषणा पत्र में कश्मीरी ब्राह्मणों की कोई चर्चा नहीं है। विस्थापित कश्मीरी ब्राह्मणों के हकूक कश्मीर में कैसे बहाल किए जाएंगे, उससे इस चोर मंडली को कोई लेना देना नहीं है।

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेयरेशन को गुपकार गैंग क्या कहा पूरे जेहादियों में बलवा मच गया। अपने ट्वीट में शाह ने कांग्रेस और राहुल गांधी व सोनिया गांधी को भी अपने स्टैण्ड को क्लीयर करने की बात कह कर इस तीर को जहर बुझा भी बना दिया। शाह ने अपने ट्वीट में लिखा, गुपकार गैंग ग्लोबल हो रहा है! वे चाहते हैं कि विदेशी सेना जम्मू और कश्मीर में हस्तक्षेप करे। गुपकार गैंग भारत के तिरंगे का भी अपमान करता है। क्या सोनिया जी और राहुल जी गुपकार गैंग की ऐसी चालों का समर्थन करते हैं? उन्हें भारत के लोगों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। आखिर गुपकार है क्या? उसकी भोगौलिक सत्यता क्या ह? यह घोषणा पत्र क्या है? यह सब समझने के लिए एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसे अमित शाह ने तो ठीक ही समझा और अब हम भी समझ लेते हैं।

एक घोटाला है गुपकार

गुपकार एक घोटाला है जो शेख अब्दुल्ला ने 1975 में जेल से छूटकर मुख्यमंत्री बनने के बाद किया। श्रीनगर के गुपकार क्षेत्र में विभाजनकारी राजनीतिज्ञों के परिवारों को गुपकार वन क्षेत्र में एक रुपया प्रति केनाल (5400 वर्गफीट) की दर से जमीन का आवंटन कर दिया। इस दौरान उसने अपने पुत्र फारुख अब्दुल्ला के नाम भी जमीन का एक बड़ा टुकड़ा आवंटित किया। मीर वायज, मुफ्ती और अन्य भारत विरोधी लोगों को गुपकार के जंगलों में बसाया। वास्तव में गुपकार दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में शंकराचार्य के मंदिर के आचार्यों, पुरोहितों और ब्राह्मणों को अग्राहार के रूप में दी गई जमीन थी। इस जमीन को तत्कालीन गंदोड़िया वंश के शासक गोपादित्य, गोपाद्री और गोपा ने अग्राहार के रूप में आवंटित किया था। इसलिए इस क्षेत्र को गोपा अग्राहार का नाम मिला और धीरे-धीरे भाषा के घिसने और अरबी व तुर्की मुसलमानों के भाषागत असर से संस्कृत के कश्मीर से उन्मूलित हो जाने से गोपा अग्राहार गुपकार कहा जाने लगा।

शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर के हिन्दू स्वरूप को खत्म करने के लिए गुपकार वन को रिहायशी क्षेत्र में बदला। यह कानूनन भी गलत था, क्योंकि वन भूमि को रिहायशी बनाया नहीं जाता है। परम्परा और संविधान दोनों के प्रति अपराधी गुपकार के घोटालेबाज का बेटा अब कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए गुपकार घोषणा पत्र जारी करता है। महान संत शंकराचार्य के आदर्श को संजोए गुपकार वन से आज हो रहे अनाचार को क्या कहा जाए सोचने का विषय है। देश के विभाजन का दर्शन लिखा जा रहा है और हम सुनने को मजबूर हैं।

क्या है गुपकार घोषणा पत्र 

धारा 370 के निरस्तीकरण के एक वर्ष पूर्ण होने और सभी पृथकतावादी कश्मीरी राजीतिज्ञों के नजरबंदी से बाहर आने के बाद इस जमात के सबसे बुजुर्ग फारुख अब्दुल्ला ने पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और पांच अन्य राजनीतिक दल, जो कश्मीर घाटी के हैं और चुनावों में भाग लेते हैं, का एक गठबंधन बनाया। इस गठनबंधन ने पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेयरेशन (पीएजीडी) तैयार किया और उसे जारी भी किया। देखने की बात यह है कि गठबंधन गुपकार में केन्द्रित सत्ता को बचाने के लिए बना है न कि जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली और उसके विकास के लिए। यह घोषणा पत्र कश्मीरी ब्राह्मणों की भी कोई चर्चा नहीं करता है। विस्थापित कश्मीरी ब्राह्मणों के हकूक कश्मीर में कैसे बहाल किए जाएंगे, उससे इस चोर मंडली को कोई लेना देना नहीं है। वह तो दिखावे के लिए जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराने का उद्देश्य इस घोषणा पत्र में दिखाते हैं और घोषित करते हैं कि इस कार्य के लिए बहुदलीय समूह का निर्माण किया गया है। उसे ही ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लयरेशन’ (पीएजीडी) या गुपकार कहा गया है।

गुपकार में शामिल पृथकतावादी

गुपकार में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, सीपीआई (एम), पीपल्स यूनाइटेड फ्रंट, पैंथर्स पार्टी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हिस्सा लिया। हालांकि, कांग्रेस इसका अभी तक हिस्सा नहीं बनी है, क्योंकि पार्टी ने 14 नवंबर को जारी अपने बयान में कहा था कि गुपकार का हिस्सा बनने के बारे में अब तक कोई फैसला नहीं किया है। गुपकार बैठक की अध्यक्षता फारुख अब्दुल्ला ने की, जबकि महबूबा मुफ्ती, मुजफ्फर हुसैन बेग, अब्दुल रहमान वीरी, सज्जाद गनी लोन, इमरान रजा अंसारी, अब्दुल गनी वकील, ताज मोहिउद्दीन, एमवाई तारिगामी, उमर अब्दुल्ला, जस्टिस हसनैन मसूदी, मुहम्मद अकबर लोन, नारिस सुगामी, शाह फैसल, अली मोहम्मद सागर, मुजफ्फर शाह, उजैर रोंगा और सुहैल बुखारी ने हिस्सा लिया।

आखिर गुपकार का एजेंडा क्या है ?

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लयरेशन’ के गठन के बाद कहा कि गठबंधन जम्मू-कश्मीर के संबंध में संवैधानिक स्थिति बहाल करने के लिए प्रयास करेगा, जैसा पिछले वर्ष पांच अगस्त 2019 से पहले था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जो छीन लिया गया, उसकी बहाली के लिए हम संघर्ष करेंगे। यह हमारी संवैधानिक लड़ाई है…। इसके लिए जम्मू और कश्मीर विधानसभा का चुनाव बहिष्कार करना उद्देश्य रखा गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि जो फारुख अब्दुल्ला अपना नरम चेहरा लेकर देश में घूमता था वह भी अलगाववादी निकला। महबूबा मुफ्ती का विभाजन का एजेण्डा तो स्पष्ट था लेकिन फारुख अब्दुल्ला के बारे में ऐसा किसी ने नहीं सोचा था। इसका और स्पष्टीकरण इस घोषणा के अगले हिस्से में हो जाता है, जहां कहा जाता है कि इस गठबंधन का उद्देश्य सभी हितधारकों के साथ, विशेष रूप से अलगाववादी नेताओं के साथ राजनीतिक रूप से वार्ता करना है। प्रस्ताव में पार्टियों ने सर्वसम्मति से जम्मू और कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष स्थिति की रक्षा और बचाव के अपने प्रयासों में एकजुट होने पर सहमति व्यक्त की। क्या जम्मू-कश्मीर इन राजनीतिक दलों की जागीर है या फिर किसी अब्दुल्ला, मुफ्ती और मीरवायज परिवार की स्वच्छंद क्रीड़ास्थली? इनकी पूरी घोषणा में पाक अधिकृत कश्मीर के बारे में एक शब्द नहीं है। जिस कश्मीर की स्वायत्ता अब्दुल्ला-मुफ्ती गैंग चाहती है, वह पाक अधिकृत कश्मीर के बिना कैसे पूरी हो सकती है।

गुपकार गैंग का चीनी राग

सब कुछ करने के बाद भी जब राजनीतिक गलियारों में गुपकार गैंग को उचित स्थान नहीं मिला तो उसने एक नया ही दर्शन पैदा कर लिया। गुपकार गैंग ने अनुच्छेद 370 पर चीन के हस्तक्षेत्र की आशा जता दी। अब उसे आशा है कि जम्मू-कश्मीर में दोबारा अनुच्छेद 370 की बहाली चीन की मदद से की जा सकती है। उसे इस बात का ज्ञान नहीं है कि चीन लद्दाख में अपने 150 से अधिक सैनिक खोकर वैसे ही सदमे में है और पूरी दुनिया इस समय चीन के विरुद्ध है।

चीन राजनीतिक रूप से अपना वजूद खो चुके अब्दुल्ला पर दांव खेलेगा, ऐसा मूर्खतापूर्ण दर्शन सिर्फ गुपकार गैंग ही सोच सकती है।

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