सबको अपना मानकर सेवा करना ही भारत का स्वभाव: डाॅ. मोहन भागवत

भारत का स्वभाव सबको अपना मानकर उनकी सेवा करने का ह क्योंकि देश की 130 करोड़ जनता भारत माता की संतान है और सभी अपने हैं। ऐसे में हमने दुनिया को इस संकट के दौर में अपने हितों को कम कर दवाईयां बांटी है। यह हम किसी कीर्ति के लिए नहीं कर रहे बल्कि अपनत्व भाव से कर रहे हैं। सेवा का मूल भाव ही अपनत्व होना चाहिए और संघ भारत के सभी लोगों को अपना मानकर बिना किसी भेदभाव के सेवा कार्य कर रहा है। ये विचार 26 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नागपुर महानगर द्वारा आयोजित वर्तमान परिदृश्य एवं हमारी भूमिका विषय पर बोलते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने रखे।

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान कुछ लोग भय और क्रोधवश गलतियां कर रहे हैं, लेकिन ऐसे समय में किसी के प्रति मन में भेदभाव रखना सही नहीं है। कोरोना संकट के दौर में भी स्वार्थ के कारण कुछ लोग भड़काने की राजनीति का प्रयास कर रहे हैं लेकिन हमें इनसे दूरी बनाकर रहना है। संघ के स्वयंसेवकों की सोच हमेशा देश हित की होगी जिसमें सभी अपने हैं, किसी का विरोध नहीं होना चाहिए।

बौद्धिक वर्ग के दौरान डाॅ. भागवत ने पालघर में दो हिन्दू साधुओं की भीड़ हिंसा में की गई हत्या की निंदा की और पुलिस व प्रशासन से ऐसे मामलों में सख्ती बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि साधुओं ने तो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था। ऐसे में उनकी हत्या को किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। साधुओं को आगामी 28 अप्रैल को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि पहली बार विश्व ने कोरोना जैसी महामारी के संकट का सामना किया है। यह संकट हमें काफी कुछ सिखा रहा है। यह हमें स्वालंबन की शिक्षा दे रहा है। ऐसे में हमें राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगना होगा। पर्यावरण अनुकूल, रोजगारपरक और जरूरत से ज्यादा उपभोग न करने वाली विज्ञान और परंपरा पर आधारित विकास के मॉडल का निर्माण करना होगा। इसमें स्वदेशी का उपयोग करना और अपनी शर्तों पर ही कहीं बाहर से सामान आयात करना शामिल है। कोरोना संकट से हमें डरने की जरुरत नहीं है बल्कि मिलकर शारीरिक दूरी समेत सरकार द्वारा जारी सभी निर्देशों का पालन करते हुए इसका सामना करने की जरूरत है। इस संकट की घड़ी में सभी लोगों को अपना मानकर उनकी सेवा का काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा के साथ-साथ सावधानी रखने की भी जरूरत है। सावधानी इसलिए कि हम कहीं बीमार न हो जाएं और सावधानी इसलिए भी कि कोई हमारा गलत लाभ न उठा ले। सभी को सहायता मिलनी चाहिए।

सरसंघचालक ने कहा कि कोरोना संकट कब तक चलेगा इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। संकट की घड़ी में तत्परता से काम करने की जरूरत है और बिना किसी आलस के लगातार प्रयास करने की जरूरत है। लॉकडाउन के बाद भी हमें समाजिक दूरी के नियम का पालन करना होगा और लोगों को भी जागरुक रखना होगा। फिर से बीमारी न आए इसके लिए समाज को दिशा देने की जरुरत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर महानगर द्वारा आयोजित बौद्धिक वर्ग का अनेक समाचार चैनल्स और सोशल नेटवर्किंग साइट्स से सीधा प्रसारण किया गया। लॉक डाउन घोषित होने के बाद उनका यह पहला सार्वजनिक उद्वोधन था।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *