समरस बने समाज, अब शबरी राम के घर आये – डॉ. बनवारीलाल शर्मा

समरस बने समाज, अब शबरी राम के घर आये - डॉ. बनवारीलाल शर्मा

समरस बने समाज, अब शबरी राम के घर आये - डॉ. बनवारीलाल शर्मासमरस बने समाज, अब शबरी राम के घर आये 

सरदारशहर, 14 अप्रैल। डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर की 131वीं जयंती की पूर्व संध्या (13 अप्रैल) पर गढ़ परिसर (तहसील कार्यालय) के सामने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जीवन हम सभी को प्रेरणा देता है कि जीवन के पग पग में कष्ट सह कर भी हम किस प्रकार से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. अम्बेडकर अपने जीवन के अंतिम क्षण तक वंचितों और शोषितों के लिए संघर्ष करते रहे। आज जब समाज अन्य सब क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है तब छुआछूत की कुरीति का भी हमें अतिशीघ्र ही परित्याग करना चाहिए। भगवान राम तो शबरी के घर पहुँच गये थे। अब समय है कि समाज समरस बने और शबरी भी हमारे घरों में आये। आज के इस शुभ अवसर पर इस विषय में हम सभी को संकल्प लेना चाहिए।

सेवा भारती के जिला मंत्री राकेश इंदौरिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने जीवन की सभी बाधाओं को पार कर उच्च शिक्षा ग्रहण की। डॉ. अम्बेडकर अपने समय के सबसे सुशिक्षित व्यक्ति थे। समाज में फैली छुआछूत की कुरीति का उन्होंने डटकर विरोध किया।

समरस बने समाज, अब शबरी राम के घर आये - डॉ. बनवारीलाल शर्मा

कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉक्टर अम्बेडकर के चित्र के समक्ष दीपक जलाकर व पुष्प अर्पित कर किया गया। इस अवसर पर 131 दीपकों का दीपदान किया गया। कार्यक्रम स्थल को रंगोली व अखण्ड भारत के चित्र से सजाया गया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति व कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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