सर्वे संतु निरामयाः – वसुधैव कुटुंबकम की भावना से कार्य करता भारत
पुरु शर्मा
भारतीय संस्कृति ने सदैव से ही वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से विश्व कल्याण की बात की है। यह वह भूमि है, जिसने शताब्दियों के आघातों और विदेशियों के शत्-शत् आक्रमणों को सहकर भी मानवता के धर्म को सर्वोपरि रखते हुए सदैव विश्व बंधुत्व की कामना की है एवं विश्व को सभ्यता और आपसी भाईचारे का पाठ पढ़ाया है। भारत भूमि से निकले दार्शनिक तत्वों ने समग्र संसार को बार-बार पल्लवित किया है। भारतीय संस्कृति ने हमेशा ही “सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः” की कामना करते हुए विश्व की भलाई हेतु प्रार्थना की है। यही कारण है कि भारत सदैव से ही विश्व का सिरमौर रहा है।
पूंजीवाद के दौर में भी भारत की भावना सह-अस्तित्व और सबको साथ लेकर चलने की है। आज भारत ही है जो महामारी के समय मानवता की लड़ाई में नेतृत्वकर्ता बनकर उभरा है। जब सारा विश्व संकट के अंधकार में डूबा जा रहा था तो भारत ही उजाले की वह किरण बनकर उभरा, जिसने आपदा के समय में विश्व को महामारी से लड़ने में हर संभव सहयोग दिया और संबल बनकर कोरोना से निपटने की शक्ति दी। संसार आशा भरी निगाहों से भारत की ओर देख रहा था, जिसने एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था होते हुए भी कुशलता से इस आपदा को नियंत्रित किया। भारत ने वैश्विक आपदा के समय कोरोना महामारी से निपटने के लिए विश्व का नेतृत्व करते हुए उन्नत स्वदेशी टीका विकसित कर मानवता के पक्ष में उत्कृष्ट कार्य किया है।
भारत सदैव से ही विश्व का नेतृत्वकर्ता रहा है। आज वह समूचे विश्व को कोरोना वैक्सीन बाँटकर विश्व बंधुत्व के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री तक कह चुके हैं कि पूरा विश्व हमारा परिवार है और हम सबकी हर संभव सहायता करेंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ट्वीट में इस संबंध में कहा था कि भारत वैश्विक समुदाय की स्वास्थ्य सेवा सम्बंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये ‘भरोसेमंद’ सहयोगी बनकर काफी सम्मानित महसूस कर रहा है। भारत ही है जो महामारी के विरुद्ध मानवता की इस लड़ाई में नेतृत्वकर्ता बनकर उभरा है।
भारत की विश्व बंधुत्व की भावना
कोरोना काल में विश्व के संकटमोचक बने भारत सरकार ने बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और मालदीव को टीके की 32 लाख से अधिक नि:शुल्क डोज भेजी हैं। मॉरिशस, म्यांमार और सेशेल्स को सहायता भेजी जानी है। इस सूची में श्रीलंका और बहरीन को भी सप्लाई भेज दी गई है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि “महामारी का मुकाबला स्वाभाविक रूप से आने वाले दिनों में वैश्विक एजेंडे पर हावी हो जाएगा, एक देश के रूप में 150 से अधिक देशों को महामारी चिकित्सा आपूर्ति और उपकरण प्रदान करते हुए भारत उत्तरदाताओं के बीच समन्वय का समर्थन करता है।”
इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) टेड्रोस अधनोम ने भारत को धन्यवाद दिया है, साथ ही पीएम मोदी की इस पहल की सराहना की।
भारत ने दरियादिली दिखाते हुए अपने पड़ोसी देशों को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन की लाखों डोज भेजकर मानवता के पक्ष में सकारात्मक कार्य किया है। भारत की इस दरियादिली की दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है। जिसने संकट के समय बिना लाभ या राजनीति के सिर्फ मानवता को प्राथमिकता देते हुए जरूरतमंद देशों को तत्परता से वैक्सीन उपलब्ध कराई है। भारत के इस पुनीत कार्य के लिए विश्वभर से भावुक कर देने वाले संदेश आ रहे हैं।
मालदीव में जब भारतीय टीकों की खेप पहुंची तो वहां के विदेश मंत्री का भावुक कर देने वाला संबोधन सुनने लायक था जो उन्होंने धाराप्रवाह हिन्दी में दिया। धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद कह कर उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री और जनता को धन्यवाद दिया।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी 10 लाख डोज भेजने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए ट्वीट किया, “नेपाल को कोविड टीके की दस लाख खुराक भेजने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और सरकार तथा भारत के लोगों को धन्यवाद देता हूं। यह सहायता ऐसे समय दी गई है जब भारत को अपने लोगों को भी टीका लगाना है।”
जहां एक ओर भारत दुनिया को मुफ़्त में वैक्सीन बांट रहा है तो वहीं दूसरी ओर एशिया में अपने आप को सबसे बड़ी ताकत समझने का दंभ भरने वाला पूंजीवादी चीन अपने सहयोगी देशों से क्लिनिकल ट्रायल में हुए खर्च तक का हिस्सा मांग रहा था। चीन ने तो मुश्किल समय में भी मदद के नाम पर व्यापार किया, लेकिन भारत ने सबकी सहायता की। यही कारण है कि बांग्लादेश ने चीन की वैक्सीन न लेकर भारत की कोविशील्ड वैक्सीन पर भरोसा किया। भारत के वैक्सीन-मैत्री अभियान ने चीन को बैकफुट पर धकेल दिया है, और वह भी विशेषकर दक्षिण एशिया में।
भारत वैसे भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर सभी दक्षिण एशियाई देशों को वैक्सीन उपलब्ध करा चुका है। अब शीघ्र ही अफगानिस्तान को भी भारत से कोरोना वैक्सीन की सहायता मिलने वाली है। श्रीलंका को भारत ने कोरोना वैक्सीन की 5 लाख डोज उपलब्ध करवाई हैं।
वैक्सीन पहुंचने पर बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री मोहम्मद शहरयार आलम ने कहा कि दक्षिण एशिया को क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग करने की आवश्यकता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत के पड़ोसी देशों को टीका उपलब्ध करा कर ‘बेहतरीन उदाहरण’ पेश किया है।
अमेरिका की बाइडन सरकार भी मोदी सरकार की वैक्सीन मैत्री की मुरीद हो गई है। अमेरिका ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “भारत सच्चा मित्र है। कई देशों को उपहार के तौर पर वैक्सीन देने का जो काम भारत ने शुरू किया है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराकर भारत ने दुनिया के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है”।
अफ्रीका भी पहुंची भारतीय वैक्सीन
भारत ने अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों को कोरोना वायरस वैक्सीन भेजने के बाद अब अफ्रीका को भी वैक्सीन दी है। दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य विभाग ने भी भारत के सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन को इमरजेंसी प्रयोग की स्वीकृति दे दी है। सीरम इंस्टीट्यूट कुछ दिनों में दक्षिण अफ्रीका को 15 लाख कोविशील्ड की डोज सप्लाई करेगा।