कोरोना सर्वे

शुभम वैष्णव

कोरोना सर्वे

सर्वे शब्द में इतना कुछ समाहित है कि इसकी व्याख्या केवल और केवल सर्वेक्षण करने वाला व्यक्ति ही कर सकता है। जब मैं और मेरे कुछ साथी कोविड-19 का सर्वे करने घर घर गए तो हर घर की कहानी बड़ी सयानी नजर आई। परंतु हर सवाल के जवाब में लोगों की मनमानी भी नजर आई।

जब हमने एक युवा से पूछा कि क्या आपके घर के किसी सदस्य में खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उसी युवा ने खांसते हुए तपाक से -नहीं कहकर हमें सर्वे का पहला मनमाना उत्तर दे दिया।

जब हमने 86 साल के वृद्ध से पूछा कि- क्या आपके घर में किसी को शुगर, अस्थमा, रक्तचाप और दिल से संबंधित कोई बीमारी है तो उन बेचारे बुजुर्ग ने अस्थमा का पंप हाथ में लिए नहीं का जवाब दिया।

जब हमने एक महिला से उनके घर के कुल सदस्यों की संख्या पूछी तो उन्होंने 11 सदस्य बताए तभी उनके पति महोदय ने बाहर आकर कुल सदस्यों की संख्या 5 बता दी और हमें सदस्यों की संख्या में संशोधन करने को कहा। कई परिवारों में इसी तरह के गुणा, भाग ,जोड़, घटाव के अविश्वसनीय आंकड़े हमारे सामने आए।

जब हमने एक घर की डोर बेल बजाई तो अंदर से जोर-जोर से एक कुत्ते के भौंकने की आवाज आ रही थी। तभी उस घर के मालिक बाहर आए और हमारे सवालों के जवाब देने लगे। जब हमने उनसे पूछा कि क्या आपके घर में कोई पालतू जानवर है, तो उन्होंने हमें संदेह की नजरों से देखा और तपाक से नहीं का जवाब दे दिया।

लोगों के इस रवैये से हम सोच में पड़ गए आखिर यह सर्वे किसके लिए है? सही जानकारी नहीं मिलेगी तो महामारी से निपटने की तैयारी भी कैसे हो सकेगी।

उधर पाकिस्तान में किए गए एक सर्वे में पता चला कि वहां के लोग कोरोना वायरस की मौजूदगी को नकार रहे हैं और वहॉं के मौलाना, नेता व जनता कोरोना वायरस को अपने विरुद्ध एक साजिश बता रहे हैं। अब इन्हें भी कौन समझाए कि – जो लोग आतंकवाद का सहारा लेकर भारत और विभिन्न देशों के खिलाफ साजिशें करते हैं उनके खिलाफ कौन साजिश करेगा भला। सबसे बड़े साजिशकर्ता तो खुद पाकिस्तानी सरकार और वहां के आतंकी हैं।

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