कर्नाटक के कुछ मंदिरों में होने वाली सलाम आरती का नाम अब होगा आरती नमस्कार

कर्नाटक के कुछ मंदिरों में होने वाली सलाम आरती का नाम अब होगा आरती नमस्कार

कर्नाटक के कुछ मंदिरों में होने वाली सलाम आरती का नाम अब होगा आरती नमस्कारकर्नाटक के कुछ मंदिरों में होने वाली सलाम आरती का नाम अब होगा आरती नमस्कार

कर्नाटक के कुछ मंदिरों में होने वाली सलाम आरती का नाम बदल कर अब आरती नमस्कार कर दिया गया है। सलाम आरती टीपू सुल्तान के दौर में शुरू की गई थी। टीपू सुल्तान चाहता था कि मंदिर के पुजारी उसकेसम्मानमें मंदिरों की आरती करें। इसी के बाद कोल्लूर के मंदिरों में होने वाली आरती को सलाम आरती कहा जाने लगा। यह चलन टीपू सुल्तान की मौत के बाद भी जारी रहा। लेकिन अब कुछ समय से सलाम आरती का नाम बदलने टीपू सुल्तान के नाम पर होने वाले अनुष्ठानों को समाप्त करने की मांग उठ रही थी, जिसे हिंदू मंदिरों की देखरेख करने वाले स्टेट अथॉरिटी मुजरई ने शनिवार को स्वीकृति दे दी।

उल्लेखनीय है कि मेलकोट में ऐतिहासिक चालुवनारायण स्वामी मंदिर है। जहां टीपू सुल्तान के शासनकाल से हर दिन शाम 7 बजे सलाम आरती होती रही है। स्कॉलर और कर्नाटक धार्मिक परिषद के सदस्य कशेकोडि सूर्यनारायण भट ने इसका नाम बदलने की मांग की थी। भट ने कहा था सलाम शब्द हमारा नहीं टीपू सुल्तान का दिया हुआ है। इसके अलावा सलाम आरती कुक्के श्री सुब्रह्मण्य मंदिर, पुत्तूर में श्री महालिंगेश्वर मंदिर, कोल्लूर में मूकाम्बिका मंदिर और कुछ अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में भी होती है।

मुजरई मंत्री शशिकला ​​​​​​​जोले ने कहा, “इन फारसी नामों को बदलने और मंगला आरती नमस्कार या आरती नमस्कार जैसे पारंपरिक संस्कृत नामों को बनाए रखने के प्रस्ताव और मांगें थीं। इतिहास को देखें तो हम वही वापस लाए हैं जो पहले चलन में था।

जोले के अनुसार, ‘‘यह निर्णय किया गया है कि दीवतिगे सलाम का नाम बदलकर दीवतिगे नमस्कार, सलाम आरती का नाम बदलकर आरती नमस्कार किया जाएगा। इसी तरह सलाम मंगल आरती का नाम बदलकर मंगल आरती नमस्कार किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि अन्य रीतिरिवाज परंपरा के अनुरूप जारी रहेंगे, उनमें कोई परिवर्तन नहीं होगा।

कौन था टीपू सुल्तान

टीपू सुल्तान हिंदुओं से घृणा करने वाला एक इस्लामिक शासक था। टीपू सुल्तान: टायरेंट ऑफ मैसूरके लेखक संदीप बालकृष्ण के अनुसार, टीपू सुल्तान का 17 वर्षों का शासन वास्तव में हिंदुओं के लिए कहर का समय था। टीपू ने खुले तौर पर घोषणा की थी कि वह हिंदुओं के विरुद्ध जिहाद छेड़ेगा।

उसने कोझिकोड में रहने वाले 7,000 हिंदू परिवारों में से 2,000 को मौत के घाट उतार दिया, बचे हुए अनेक परिवारों को जंगलों में छिपना पड़ा। डेमोग्राफी बदलने के लिए अनेक मुसलमानों को वहॉं बसाया।

मांड्यम अयंगर आज तक दीपावली नहीं मनाते, क्योंकि इसी दिन टीपू सुल्तान के आदेश पर उनके समुदाय के 700 से अधिक सदस्यों की हत्या कर दी गई थी।

विलियम लोगन के मालाबार मैनुअल के अनुसार, टीपू सुल्तान ने चिराकल तालुका में थिरचम्बरम और थलिप्परम्पु मंदिरों, टेलिचेरी में थिरुवंगतु मंदिर (पीतल पगोडा) और बडकारा में पोनमेरी मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। मालाबार मैनुअल के अनुसार, मनियूर मस्जिद पहले एक हिंदू मंदिर थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, टीपू सुल्तान के शासनकाल में इसे एक मस्जिद में बदल दिया गया था।

टीपू सुल्तान की दृष्टि में ये कार्य इस्लाम के हित में मजहबी कार्य थे। उसकी सेवा में रहे एक सैन्य अधिकारी, बुदरूज़ ज़मान खान को उसका पत्र इस प्रकार है: “पैगंबर मोहम्मद और अल्लाह की कृपा से, कालीकट में लगभग सभी हिंदू इस्लाम में परिवर्तित हो गए हैं। केवल कोचीन राज्य की सीमाओं पर कुछ लोग अभी भी परिवर्तित नहीं हुए हैं। मैं उन्हें भी बहुत जल्द बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। मैं इसे उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जिहाद मानता हूं

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