सामाजिक समरसता के प्रतीक सर्वजातीय सामूहिक विवाह, सेवा भारती निभा रही बड़ी भूमिका

सामाजिक समरसता के प्रतीक सर्वजातीय सामूहिक विवाह, सेवा भारती निभा रही बड़ी भूमिका

सामाजिक समरसता के प्रतीक सर्वजातीय सामूहिक विवाह, सेवा भारती निभा रही बड़ी भूमिकासामाजिक समरसता के प्रतीक सर्वजातीय सामूहिक विवाह

डॉ. हेडगेवार ने समरस हिन्दू समाज का स्वप्न संजोया था। पूरा संघ परिवार अपनी अपनी तरह से उसे साकार करने का प्रयास कर रहा है। सेवा भारती समिति की इसमें बड़ी भूमिका है। वंचितों को शिक्षा व स्वावलम्बन जैसे सेवा के अनेक कार्यों के साथ ही सेवा भारती प्रति वर्ष बैसाख शुक्ल नवमी, माता सीता के जन्म दिवस जानकी नवमी पर श्रीराम जानकी सर्वजातीय विवाह सम्मेलन का आयोजन करती है। इस अवसर पर आर्थिक रूप से कमजोर युगल सेवा भारती के सहयोग से विवाह बंधन में बंधते हैं।

इस वर्ष भी बैसाख शुक्ल नवमी तदनुसार 10 मई को जयपुर में 12 जातियों के 26 जोड़े वैवाहिक सूत्र में बंधे। इनमें पांच विवाह अंतर जातीय थे तो दो अनाथ युवतियों का भी समारोह में विवाह हुआ।

इस सर्वजातीय सामूहिक विवाह का आयोजन अम्बाबाड़ी आदर्श विद्या मंदिर में हुआ। इस आयोजन के माध्यम से लोगों को सामाजिक समरसता, सादगी व समर्पण का संदेश दिया गया। आयोजन में विभिन्न समाज, समुदाय के लोग सम्मिलित हुए। सभी ने साथ बैठकर भोजन किया। समारोह में 27 जोड़ों का विवाह समिति की ओर से कराया जाना था, लेकिन एक जोड़ा बीमार होने के कारण शामिल नहीं हो सका। ऐसे में 26 जोड़ों के एक मंडप में विवाह संस्कार कराए गए। सम्मलेन में संघ के वरिष्ठ प्रचारक व सेवा भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री मूलचंद सोनी, वरिष्ठ प्रचारक शिवलहरी सहित सेवा बस्ती के हजारों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

सामूहिक विवाह सम्मेलन में पाणिग्रहण से पहले सभी दूल्हों की एक साथ निकासी हुई। सभी ने एक साथ तोरण मारा। सामूहिक मंत्रोच्चार हुए। सेवा भारती की महिला कार्यकर्ताओं ने पुष्प वर्षा की। इस दौरान बड़ी संख्या में वर-वधू पक्ष के लोगों के साथ ही समाज के गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। तोरण के बाद सभी जोड़े मंच पर पहुंचे, जहां एक एक कर सभी के वरमाला संस्कार का आयोजन हुआ।

सामूहिक विवाह समारोह में एक मंडप में अलग-अलग वेदियां बनाई गईं, जहां दूल्हा-दुल्हन का पाणिग्रहण करवाया गया। मुख्य पंडित के साथ ही हर वेदी पर एक पंडित ने संस्कार करवाए। मंत्रोच्चार के बीच पूरे विधि विधान से फेरे करवा कर वर-वधू को आशीर्वाद दिया गया। प्रत्येक वर-वधू ने सामाजिक समरसता के लिए काम करने का संकल्प लिया।

वर-वधुओं को दिए गए उपहार
सेवा भारती समिति ने दानदाताओं के सहयोग से प्रत्येक वर-वधू को गृहस्थी चलाने के लिए आवश्यक सामान उपहार स्वरूप भेंट किया।

दस साल में 2100 से अधिक जोड़ों का विवाह 
सेवा भारती पिछले 10 वर्षों से सर्वजातीय सामूहिक विवाह का आयोजन कर रही है। अब तक 2100 से अधिक जोड़े परिणय सूत्र में बंध चुके हैं। इस बार सेवा भारती की ओर से 11वां श्रीराम जानकी सर्वजातीय विवाह सम्मेलन आयोजित किया गया।

भरतपुर में भी हुआ 7 वें श्रीराम जानकी सर्वजातीय विवाह सम्मेलन का आयोजन

भरतपुर में भी जानकी नवमी पर श्री पार्श्र्व वाटिका में सेवा-भारती समिति भरतपुर द्वारा 7 वें श्री राम जानकी सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें चार जाति-समाज (जाटव, सैनी, सोनी और जांगिड ब्राह्मण) के छ: युगल परिणय सूत्र में बंधे। पूज्य संत श्री हरिचैतन्य महाप्रभु ने कहा कि सर्वजातीय सामूहिक सम्मेलन समाज में परस्पर प्रेम और बन्धुत्व के भाव को प्रगाढ़ करते हुए भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने की प्रेरणा देते हैं।

सामाजिक समरसता के प्रतीक सर्वजातीय सामूहिक विवाह, सेवा भारती निभा रही बड़ी भूमिका

विवाह आयोजन समिति द्वारा प्रत्येक नव-विवाहित जोड़े को पलंग, 15 साड़ियाँ, 2 कम्बल, 4 सोने-चांदी के आभूषण, 15 बर्तन (बाल्टी, भगोनी, परात, थाली, कढ़ाई आदि), अलमारी, सिलाई-मशीन, पंखा, गद्दा, तकिया, चादर इत्यादि उपहार के रूप में भेंट किए गए। इस आयोजन में प्रत्येक वर-वधू की ओर से 30-30 व्यक्ति सम्मिलित हुए।

सर्वसमाज के गणमान्य नागरिकों ने भी बड़ी संख्या में सहभागिता कर सभी जोड़ों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।

ऐसे आयोजनों में छिपे संदेश
सामूहिक विवाह के ऐसे आयोजन समाज में लोगों को कई प्रकार के संदेश देते हैं। जैसे समाज में वंचित व गरीब वर्ग के लोग भी अकेले नहीं हैं। समाज व संगठन उनके साथ खड़ा है। सर्व समाज को समरस होना ही है। आयोजनों के दौरान भी छुआछूत, ऊंच नीच का कोई भाव दिखाई नहीं दिया। वहीं समारोह में सहयोग देने से सम्पन्न लोगों में समर्पण का भाव भी जागा। सादगी का संदेश भी दिया गया।

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