शेखावाटी साहित्य संगम में पाँच पुस्तकों पर होगा संवाद

शेखावाटी साहित्य संगम में पाँच पुस्तकों पर होगा संवाद

शेखावाटी साहित्य संगम में पाँच पुस्तकों पर होगा संवादशेखावाटी साहित्य संगम में पाँच पुस्तकों पर होगा संवाद

प्रतिवर्ष सीकर में आयोजित होने वाले शेखावाटी साहित्य संगम की आत्मा हैं पुस्तकें। यह पुस्तक केंद्रित एक भव्य आयोजन है। जहाँ पुस्तक प्रदर्शन, अवलोकन, बिक्री, परिचय, पठन व विषय वस्तु पर चर्चा संवाद आदि होते हैं।बुक स्टॉल्स के संयोजक व प्रकाशक़ों की व्यवस्था सम्भालने वाले अवधेश शर्मा बताते हैं कि साहित्य संगम लेखकों, प्रकाशकों व पाठकों की त्रिवेणी है।

इस आयोजन में प्रतिवर्ष नेशनल बुक ट्रस्ट, गरुड़ प्रकाशन, प्रभात प्रकाशन, पत्रिका प्रकाशन, विमर्श प्रकाशन व सुरुचि प्रकाशन सहित अनेक प्रतिष्ठित प्रकाशन भाग लेते हैं। पाठकों के लिए विविध विषयों पर रुचिकर व ज्ञानवर्धक पुस्तकें हिन्दी व अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध रहती हैं।

इस आयोजन की विशेष बात यह है कि इसमें कुछ पुस्तकों के लेखक भी उपस्थित रहते हैं, जो पाठकों से इन पुस्तकों पर संवाद करते हैं। यह लेखक – पाठक संवाद इस आयोजन को और अधिक उपयोगी बनाता है।

इस बार 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले शेखावाटी साहित्य संगम में पांचों दिन अलग-अलग पुस्तकों पर लेखकों के साथ परिचर्चा का आयोजन है।

28 सितंबर को ‘महाभारत के हनुमान’ पुस्तक पर चर्चा का आयोजन होगा, जिसमें लेखिका अंशु हर्ष पाठकों से पुस्तक पर चर्चा करेंगी। यह पुस्तक जो हनुमान जी के चिरंजीवी होने व महाभारत में किस प्रकार से उन्होंने प्रभु का सानिध्य प्राप्त किया, ऐसे कई अनछुए पहलुओं का अनुसंधान व अनुभूति देती है। इस सत्र में सीनियर जर्नलिस्ट अर्चना शर्मा लेखिका से बात करेंगी।

29 सितंबर को तेज सिंह राठौड़ द्वारा लिखित ‘झील का दर्द’ पुस्तक पर परिचर्चा होगी। इस पुस्तक में 14 प्रेरक व रोचक कहानियों का संग्रह है। पाठकों के लिए यह एक अच्छा अनुभव रहेगा।

30 सितम्बर को ‘हिन्दुत्व एक विमर्श’ पुस्तक लेखक व पाठकों के मध्य संवाद का आधार रहेगी। हिन्दुत्व, राष्ट्र व धर्म को स्पष्ट करने वाला सुन्दर, सरल व सधा हुआ लेखन इस पुस्तक में किया गया है। पुस्तक के लेखक इंदुशेखर तत्पुरुष से प्रसिद्ध पत्रकार व ‘ज्ञानम्’ के आयोजक इस विषय में चर्चा करेंगे।

इसी प्रकार 1 अक्टूबर को ‘हमारा संविधान-भाव एवं रेखांकन’ पुस्तक पर चर्चा होगी। यह पुस्तक संविधान के प्रत्येक भाग पर अंकित चित्रों की सुन्दर, तथ्यात्मक व रोचक व्याख्या प्रस्तुत करती है, जो युवाओं के लिए एक नया विषय है। पुस्तक के लेखक लक्ष्मीनारायण भाला ‘लखी दा’ उपस्थित रहेंगे।

अंतिम दिन 2 अक्टूबर को जेएन ऋषिवंशी की पुस्तक ‘कृष्णांशी’ पर चार पाठक आपस में चर्चा करेंगे। यह पुस्तक भारत के प्राचीन समृद्ध इतिहास व इसके विज्ञान से सम्बंध के बारे में बताती है। सस्पेंस व थ्रिल से भरी प्रेम कहानी पाठकों को बांधे रखती है।

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