अमेरिका की सिलिकॉन वैली बैंक का डूबना..!

अमेरिका की सिलिकॉन वैली बैंक का डूबना..!

प्रशांत पोळ

अमेरिका की सिलिकॉन वैली बैंक का डूबना..!अमेरिका की सिलिकॉन वैली बैंक का डूबना..!

शुक्रवार 10 मार्च को अमेरिका की सोलहवीं सबसे बड़ी बैंक, ‘सिलिकॉन वैली बैंक’ (SVB) डूब गई। डीफंक्ट हो गई। एक ही दिन में, इतनी बड़ी बैंक डूबने का शायद यह अनूठा उदाहरण है। अमेरिकन अर्थव्यवस्था (financial system के संदर्भ में) कितनी खोखली है, इसका यह उदाहरण है।

इसका परिणाम कल से, अर्थात सोमवार से, दिखना शुरू होगा। इस बैंक के ग्राहक मुख्यतः स्टार्ट – अप और टेक कंपनीज थे। अमेरिका मे आईटी और टेक कंपनीज में महीने में दो बार वेतन बंटता है। दिनांक 1 को और दिनांक 15 को। जब 15 मार्च को वेतन बांटने का समय आएगा तो अनेक कंपनियों को समस्या होगी। उनकी बैंक ही डूब गई है, जिसमें उनका पैसा था। अब वेतन कहां से देंगे?

चालीस वर्ष पुरानी यह बैंक अचानक नहीं डूबी है। पिछले दो वर्षों से इसके लक्षण ठीक नहीं दिख रहे थे। अपने यहां जैसे आरबीआई रेगुलेटर के रूप में काम करती है, वैसे ही अमेरिका में ‘फेडरल रिजर्व’ इस काम को देखता है। किंतु वह इस मामले मे पूर्णतः असफल रहा है। समय रहते, फेडरल रिजर्व ने इस बैंक को बचाने के लिये कोई कदम नहीं उठाए।

मूलतः यह बैंक ‘वेंचर कैपिटलिस्ट’ के पैसों से चलती थी और प्रमुखता से स्टार्ट – अप्स और टेक कंपनियों को ॠण उपलब्ध कराती थी। कोरोना के समय से स्टार्ट- अप और टेक कंपनियों में काफी निवेश (इनवेस्टमेंट) हुआ। लेकिन उसके रिटर्न्स, बैंक को ठीक से नहीं मिल रहे थे, इसलिये बैंक ने लगभग दो वर्ष पहले अमेरिकन सरकार के हाउसिंग बॉन्ड्स खरीदे। लेकिन अमेरिकन सरकार ने बढ़ती हुई मुद्रास्फीति को रोकने के लिये ब्याज दर बढ़ा दी, परिणामस्वरूप हाउसिंग सेक्टर धीमा हो गया। इसका असर बैंक पर हुआ। अपने बढ़ते घाटे से उबरने के लिये बैंक ने हाउसिंग बॉन्ड्स 4% घाटे में बेचे। अभी तक बैंक के निवेशकों को लग रहा था कि सिलिकॉन वैली बैंक के पास अच्छी लिक्विडिटी है, इसलिये डरने की कोई बात नहीं है। किंतु घाटे में सरकारी बॉन्ड्स बेचने का समाचार जैसे ही सामने आया, सभी निवेशकों में अपने पैसे निकालने की होड़ मच गई। बैंक पर ‘रन’ आया और साढ़े आठ हजार कर्मचारियों की यह बैंक, ताश के पत्तों की तरह ढह गई और अमेरिका का ‘फेडरल रिजर्व’ तमाशबीनों जैसा देखता रहा..!

इसके परिणाम दूर – दूर तक होंगे। अमेरिकन स्टार्ट- अप्स और टेक कंपनियों में हड़कंप मचेगा। निवेशकों का विश्वास टूटेगा। 2008 के बाद, पहली बार, अमेरिकन अर्थव्यवस्था के सामने अनेक मूलभूत प्रश्न खड़े होंगे।

इस प्रकरण की पृष्ठभूमि में, वैश्विक धरातल पर, यह बात और ज्यादा जोरदार तरीके से सिद्ध होती है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है, संतुलित है और स्थिर है।  आरबीआई, ठीक तरीके से हमारे बैंकिंग सिस्टम को नियंत्रित कर रहा है।

सिलिकॉन वैली बैंक का डूबना, हमारे देश को दूरगामी अवसर प्रदान करेगा यह स्पष्ट दिख रहा है..!

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