सेना क्षेत्र में घूमते संदिग्ध बांग्लादेशी को पकड़ा, पूछताछ जारी
जयपुर । अजमेर जिले के नसीराबाद छावनी क्षेत्र में संदिग्धावस्था में घूमते एक युवक को गुरुवार को सेना पुलिस की मोबाइल टीम ने पकड़ा लिया है। बातों में बरगलाने के प्रयासों के बीच टीम के गहरे हुए संदेह पर युवक के बारे में बारीकी से जानकारी जुटाई गई तो वह बांग्लादेशी निकला। आरोपी से गुप्तचर एजेंसियां पूछताछ में जुटी हुई है।
जानकारी के अनुसार सेना पुलिस की मोबाइल टीम ने गुरुवार को गश्त के दौरान अजमेर मार्ग पर संदिग्धावस्था में घूमते एक युवक को पकड़ा। प्रारंभिक पूछताछ में अधेड़ ने टीम को बरगलाने का प्रयास किया, लेकिन टीम उसे सदर थाने लेकर पहुंची। टीम ने उसकी तलाशी ली तो उसके पास से आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक सहित अन्य दस्तावेज मिले। वहीं एक एड्रायड मोबाइल फोन भी मिला। टीम ने सख्ती से पूछताछ की तो अधेड़ ने स्वयं को नाम ढाका (बांग्लादेश) निवासी साहा सुलतानुल चिश्ती उर्फ़ मुत्तलफ चिश्ती बताया। उसने बताया कि तीन वर्ष पूर्व ही वह भारत आया था और तब से यहीं पर विभिन्न शहरों में घूमते हुए जीवन यापन कर रहा था। वापस ढाका जाने के बजाय उसने भारत में ही रहने की योजना बनाते हुए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए विभिन्न दस्तावेज बना लिए। नसीराबाद क्षेत्र में संदिग्ध बांग्लादेशी के पकड़े जाने की सूचना पर विभिन्न गुप्तचर एजेंसियां सक्रिय हो गई और थाने पहुंचकर पूछताछ में जुट गई।
खर्च के लिए बैंक खाते में दिल्ली व मुम्बई से आए पैसे
37 वर्षीय बांग्लादेशी संदिग्ध बीते तीन साल से देश के विभिन्न शहरों में घूम चुका है। वह मुंबई, नागपुर, दिल्ली आदि महत्वपूर्ण शहरों में भी कई बार जा चुका है और उसने भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की पासबुक सहित अन्य दस्तावेज बना लिए। आरोपी ने ग्राम पंचायत हाजीमलंग वाडी अंबरनाथ ठाणे (महाराष्ट्र ) के सरपंच से 9 दिसंबर 2016 को मूल निवास का भी प्रमाण पत्र भी ले रखा है। पेट भरने, कपडे“ पहनने और देश के विभिन्न मेट्रो सिटी में आने-जाने के लिए आरोपी को भीख मांगने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि उसके अकाउंट में दिल्ली और मुंबई से लगातार रकम आती थी। यह रकम कौन व्यक्ति और क्यों डालता था, इसकी भी छानबीन जांच एजेंसियां कर रही है।
पकड़ में आते ही मोबाइल पर किसी से की बांग्ला भाषा में बात
आरोपी से पासपोर्ट और वीजा मांगा गया तो उसके पास कोई भी पासपोर्ट या वीजा नहीं मिला है। इसके पास जो एंड्राइड मोबाइल फोन मिला है। उसमें अधिकांश बातचीत बांग्लादेश में की हुई थी। सेना पुलिस ने जब संदिग्ध को पकड़ा तो उसने तत्काल बांग्लादेश में फोन मिलाकर किसी से बांग्ला भाषा में बातचीत की थी। यह बातचीत क्या हुई उसके बारे में अभी तक कोई खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन संदिग्ध व्यक्ति की प्रत्येक बात कई सवाल खड़े कर रही है। संदिग्ध व्यक्ति ने एंड्राइड फोन पर पैटर्न लॉक भी लगा रखा था। कई बार कहने के बावजूद बड़ी मुश्किल से उसने पैटर्न लॉक को खोलकर जांच एजेंसियों को संभलाया। मोबाइल सेट से जानकारी जुटाने में जांच एजेंसियां जुटी हुई है।