सेवा संगम : ईंट पत्थर उठाने वाले हाथ अब करेंगे रोगियों की सेवा

सेवा संगम : ईंट पत्थर उठाने वाले हाथ अब करेंगे रोगियों की सेवा

सेवा संगम : ईंट पत्थर उठाने वाले हाथ अब करेंगे रोगियों की सेवासेवा संगम : ईंट पत्थर उठाने वाले हाथ अब करेंगे रोगियों की सेवा

जयपुर। जीवनयापन की मजबूरी ने 10वीं की सुनीता को ईंट-पत्थर उठाने पर मजबूर कर दिया था, लेकिन तभी एक मार्गदर्शक ने सुनीता का हाथ पकड़ा और सेवा भारती के हाथों में थमा दिया। अब सुनीता दो माह में अस्पताल में जनरल ड्यूटी असिस्टेंट (जीडीए) का काम सम्भाल लेगी और नर्सिंग स्टाफ के अंतर्गत रोगियों की सेवा-सुश्रुषा करेगी।

सेवा भारती के स्वावलम्बी अभियान की सफल कहानियों में से एक कहानी 21 वर्षीया सुनीता की भी है, जो स्वयं जयपुर में चल रहे राष्ट्रीय सेवा संगम में आई है और आत्मविश्वास भरे शब्दों में दूसरों को भी प्रेरित कर रही है।

अपनी पांच बहनों और एक भाई में सबसे छोटी सुनीता तेलंगाना के नरायनपेट जिले के एक गांव की रहने वाली है। पारिवारिक परिस्थितियों के कारण 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़कर छोटा मोटा काम करने की नौबत आ गई थी। उस दौरान उसे एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम मिला। उसकी निदेशक गीता पद्मा ने अचानक एक दिन कहा कि यह आयु पढ़ने की है, तुम्हें पढ़ना चाहिये, और उन्होंने उसका हाथ सेवा भारती तेलंगाना की विद्या दीदी को थमा दिया। इसके बाद हैदराबाद के हेल्थकेयर स्किल डेवलपमेंट सेंटर में सुनीता की ट्रेनिंग शुरू हो गई। तीन माह की ट्रेनिंग के दो माह हो चुके हैं, इसके बाद एक माह की हॉस्पिटल ट्रेनिंग होगी और तुरन्त जॉब हाथ में होगा।

सुनीता के साथ आई सहपाठी सौजन्या की भी कुछ कुछ ऐसी ही कहानी है। वह कहती है कि सेवा भारती के इस कोर्स के बाद सभी को जॉब मिल जाता है। हॉस्पिटल में 10 से 12 तो होम केयर में लगभग 18 हजार प्रतिमाह पारिश्रमिक मिल जाता है।

दोनों कहती हैं कि जॉब के साथ वे आगे की पढ़ाई भी जारी रखेंगी। सेवा भारती ने उन्हें नई राह दिखाई है। उल्लेखनीय है कि पूरे देश में सेवा भारती का यह इस तरह का पहला प्रशिक्षण केंद्र है।

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