सेवा संगम : जब दंगाइयों ने जला दिए थे घर, तब सेवा भारती ने थामा हाथ
सेवा संगम : जब दंगाइयों ने जला दिए थे घर, तब सेवा भारती ने थामा हाथ
- सेवा संगम-2023 में असम से आए आदेश और खिरोद गोगोई ने सुनाई अपनी कहानी
जयपुर, 09 अप्रैल। असम में वर्ष 2008 में हुई हिंसा में जब हमारे घर जले तो कोई सहायता के लिए आगे नहीं आया। उस समय सेवा भारती ने सहयोग का हाथ बढ़ाया। पहले हमें आश्रय दिया, फिर रोजगार।
यह कहना है सेवा संगम-2023 में असम से आए आदेश और खिरोद गोगोई का। बातचीत के दौरान दंगों का दर्द साझा करते हुए वे भावुक हो गए।
आदेश और खिरोद ने बताया कि असम में दंगाइयों ने उनके घर जला दिए थे। न खाने को भोजन था, न रहने को आश्रय। चारों ओर भय और डर का वातावरण था, पग-पग पर जीवन को संकट था, ऐसे में सेवा भारती मानो वरदान बनकर आई। सेवा भारती द्वारा लगाए गए शिविर में उन्हें शरण मिली। मन में जब सुरक्षित होने का विश्वास हुआ तब जीवन की आशा भी जगी। इसी शिविर में संगठन के सेवा भाव से प्रभावित होकर राष्ट्रीय सेवा भारती से जुड़ाव बढ़ गया।
शिविर में आश्रय मिला, लेकिन रोजगार की कमी तब भी खल रही थी। इसकी चर्चा हुई तो सेवा भारती पूर्वांचल की ओर से वहां के लोगों की कला को बढ़ावा देते हुए स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अवसर उत्पन्न करने पर विचार शुरू हुआ।
इसके बाद छोटे-छोटे समूह बनाकर कार्य शुरू किए गए। आज लगभग 3000 लोग सेवा भारती पूर्वांचल की ओर संचालित संस्थानों में रोजगार एवं आश्रय पा रहे हैं। यहां के हस्तनिर्मित उत्पादों की मांग विश्व भर में है। सेवा भारती पूर्वांचल से जुड़े संगठन पूर्वोत्तर राज्यों में भ्रमण के लिए आने वाले सैलानियों को वहां की कलाकृतियां कम दरों में बेचते हैं। इससे पूर्वांचल की संस्कृति देश के विभिन्न कोनों के साथ विदेशों में भी सुवासित होने लगी है।
उन्होंने बताया कि रोजगार के तौर पर स्थानीय लोगों को प्रतिदिन 250 से 300 रुपये की आमदनी हो जाती है। इससे उनके असंतुलित जीवन में सुधार आया है।
असम के जोराहट, मालीगांव, बोंगाईगांव, गुवाहाटी व कोकराझार जिलों में स्थानीय संस्कृति एवं कला को बढ़ावा देने के लिए सेवा भारती के प्रयास अनुकरणीय हैं। स्थानीय लोगों की ओर से बनाए गए आचार, वस्त्रों पर कढ़ाई का काम, बांस के पैन स्टैंड, गमछे इत्यादि को काफी पसंद किया जाने लगा है।
कोरोना महामारी में भी मिला सहारा
दोनों बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान उनकी आमदनी पर असर पड़ा। कर्मचारियों व उनके परिवार को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था। तब एक बार फिर से सेवा भारती जीवन में रोशनी लेकर आया। सेवा भारती की ओर से सर्वेक्षण करवाकर प्रदेश एवं केंद्र की सरकार को स्थानीय लोगों की मुश्किलों से अवगत कराया गया, इसके बाद सरकार ने ओर से सहायता मिलनी शुरू हुई।
(संस्कार बेहेरा, कृष्णा सिंह, राधिका अग्निहोत्री, खुशी सिंह)