स्वतंत्रता के साथ समानता का भाव लाना जरूरी- भागवत
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स्वतंत्रता के साथ समानता का भाव लाना जरूरी- भागवत
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने केशव विद्यापीठ, जयपुर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में अपने संबोधन में कहा कि संविधान सभा की सर्वसम्मति से बने संविधान का लोकार्पण करते हुए बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था, अब देश में कोई गुलामी नहीं है, अंग्रेज भी चले गए, लेकिन सामाजिक रूढ़िवादिता के चलते जो गुलामी आई थी, उसको हटाने के लिए राजनीतिक समानता व आर्थिक समानता का प्रावधान संविधान में कर दिया गया है। इसलिए गणतंत्र दिवस पर बाबा साहब के संसद में दिए गए दोनों भाषणों को पढ़ना आवश्यक है।
भागवत ने कहा, बाबा साहब ने कर्तव्यपरायणता का पथ बताया। स्वतंत्रता के लिए अन्यों की स्वतंत्रता का ख्याल रखना जरूरी है। इसीलिए समता होना जरूरी है। स्वतंत्रता व समानता एक साथ पाने के लिए बंधुभाव लाना जरूरी है। संसद में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अंतर्गत वैचारिक मतभेद होते हैं। इसके बावजूद बन्धुता का भाव प्रबल हो, तो समानता व स्वतंत्रता की स्थिति बनी रहती है। स्वतंत्रता के बाद अपना पथ निश्चित करने के लिए संविधान बनाया गया। इसी गौरवशाली दिन को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। तिरंगा दोनों दिवसों पर ही फहराया जाता है। इसका केसरिया रंग सनातन के साथ ज्ञान की परम्परा व सतत कर्मशीलता का प्रतीक है। कर्मशीलता के प्रणेता सूर्योदय का यही रंग है। गणराज्य के नाते हम अपने देश को ज्ञानवान व सतत कर्मशील लोगों का देश बनाएंगे। सक्रियता, त्याग व ज्ञान की दिशा मिलनी आवश्यक है। शक्ति को दिशानिर्देशित करने के लिए ध्वज ने सफेद रंग धारण किया हुआ है। यह रंग हमें एकजुट करता है। हरा रंग समृद्धि एवं लक्ष्मी का प्रतीक है। पर्यावरण क्षरण न हो, वर्षा संतुलन की कामना पूरी हो ऐसा होने से मन समृद्ध रहता है। मानस में ‘सर्वे भद्राणि पश्यन्तु’…का भाव जन्म लेता है। विविधतायुक्त समाज को संगठित रखते हुए अगले गणतंत्र दिवस तक हम कितना आगे बढ़ेंगे इसका संकल्प लेना चाहिए।
इससे पूर्व विद्यालय के छात्रों ने देशभक्ति से परिपूर्ण गीतों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं तथा घोष वादन व संचलन का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन व राष्ट्रगान के साथ हुआ एवं समापन राष्ट्रगीत वंदेमातरम के सामूहिक गान के साथ हुआ।