1947 की मध्य रात्रि में स्वराज मिला, स्वतंत्रता नहीं – जे. नंदकुमार

1947 की मध्य रात्रि में स्वराज मिला, स्वतंत्रता नहीं - जे. नंदकुमार

1947 की मध्य रात्रि में स्वराज मिला, स्वतंत्रता नहीं - जे. नंदकुमार

काशी। प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा कि 1947 की मध्य रात्रि में स्वराज मिला, स्वतंत्रता नहीं मिली। भारत के सभी पुत्र-पुत्रियां अपने दायित्व का निर्वहन राष्ट्रहित में करें, स्वाधीनता अवश्य प्राप्त होगी। नंदकुमार शनिवार को काशी दक्षिण भाग के अमृत महोत्सव आयोजन समिति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित “स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर” कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में स्वतंत्रता के लिए कार्य हुआ। महामना जी ने विश्वविद्यालय रूपी तीर्थ बनाया है। यह भी शिक्षा के क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम है। स्वतंत्रता किन्हीं दो परिवारों की रसोई की कोई रचना नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और अध्यापकों को सम्पूर्ण सन्दर्भों में इतिहास बताना चाहिए। एक घटना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 1494 में स्पेन में एक बैठक में पोप ने कुछ राजाओं को बुलाया और स्पेन पुर्तगाल को क्रमशः पश्चिम और पूर्व में भेजा गया। व्यापार करना इन औपनिवेशिक आक्रान्ताओं का उद्देश्य नहीं था।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम 1498 से ही प्रारंभ है। 1759 में प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला पराजित हुआ। इसे आज भी स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है, जो एक मिथक है। सत्य यह है कि यह युद्ध मात्र एक घंटे चला।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र कार्यवाह डॉ. वीरेंद्र जायसवाल ने कहा कि प्राचीन समय में न्यायशास्त्र हमारा धर्म हुआ करता था। सिकंदर जो भारत में प्रवेश नहीं कर पाया, उसे कुछ लोग विश्व विजेता बताते हैं। वर्तमान में भी हम बातचीत, पहनावे, संस्कार में पराधीन हैं। दुर्भाग्य से हम एक हजार वर्षों की पराधीनता में रहे हैं। अंग्रेजों द्वारा 6 लाख विद्यालय बंद किए गये। इस विषय में आज की शिक्षा प्रणाली पर हमें विचार करना चाहिए।

एक मंच-एक स्वर” में गाया वन्देमातरम

कार्यक्रम में “एक मंच-एक स्वर” का आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ. ज्ञानेश चन्द्र पांडेय एवं प्रो. बाला लखेन्द्र के संयुक्त संयोजन में एक मंच पर एक स्वर में संगीत एवं मंच कला संकाय के 75 विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत एवं वन्देमातरम की प्रस्तुति दी गयी। इसके उपरांत प्रो. रेवती संग्लकर ने “ऐ मेरे वतन के लोगों” गीत प्रस्तुत कर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। प्रारंभ में अतिथियों ने भारत माता चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। मंगलाचरण अनयमणि त्रिपाठी ने किया।

कामाख्या नगर में अमृत महोत्सव

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत कामाख्या नगर के क्रांति पल्ली कालोनी निवासियों ने भव्य तिरंगा यात्रा निकाली। तिरंगा यात्रा क्रांति पल्ली कालोनी से महावीर कालोनी, शिवअवध धाम अपार्टमेंट, काशी इन्कलेव सरीन रेजीडेंसी, सुदामा पुर सरस्वती नगर से होती हुई वापस क्रांति पल्ली कालोनी पार्क पर समाप्त हुई।

यात्रा मार्ग भारत माता की जय एवं वन्दे मातरम के नारों से गूंजता रहा। कार्यक्रम का संचालन अंशु अरोड़ा ने किया। भारतीय सिंधु सभा के कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।

शिवाला घाट पर अमृत महोत्सव

शिवाला घाट पर मानस नगर अमृत महोत्सव आयोजन समिति एवं दक्षिण भारत समाज द्वारा गंगा एवं भारत माता की आरती का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नन्द कुमार जी एवं अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजित महापात्रा जी रहे। मुख्य वक्ता ने कहा कि भारतीय स्वाधीनता संघर्ष आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक था। धर्म सुधारकों ने भी कई आंदोलन खड़े किये। भारत माता पुनः उच्च शिखर पर स्थापित हो, यही प्रयास सबका होना चाहिए। 5 बटुकों ने गंगा एवं भारत माता की आरती की। कार्यक्रम के अंत में वन्दे मातरम हुआ।

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