स्वाधीनता संघर्ष में साहित्यकारों की महती भूमिका – डॉ. विपिन चंद्र

स्वाधीनता संघर्ष में साहित्यकारों की महती भूमिका - डॉ. विपिन चंद्र

स्वाधीनता संघर्ष में साहित्यकारों की महती भूमिका - डॉ. विपिन चंद्र

अखिल भारतीय साहित्य परिषद का प्रदेश अधिवेशन संपन्न हुआ। अधिवेशन में बोलते हुए साहित्य परिषद के संगठन मंत्री डॉ. विपिन चंद्र ने कहा कि भारत के स्वाधीनता संग्राम में साहित्यकारों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपने साहित्य के द्वारा सारे राष्ट्र को आंदोलित कर उसे स्वाधीनता संघर्ष के लिए प्रेरित एवं जागृत किया, जिसके परिणामस्वरूप आज हम स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमें अपनी स्वाधीनता को बनाए रखने तथा राष्ट्र व समाज जागरण के लिए उन्नत साहित्य सृजित करते रहने की आवश्यकता है। कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए प्रोफेसर नंद किशोर पांडे ने कहा कि साहित्यकार अपना सर्वस्व अर्पित कर पूरे राष्ट्र को जागृत एवं संस्कारित करता है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल ने कहा कि साहित्यकारों को समाज उपयोगी साहित्य लिखते रहना चाहिए।

अधिवेशन में 21 सदस्यीय नवीन कार्यकारिणी की भी घोषणा की गई, जिसमें डॉ. अन्नाराम को प्रदेश अध्यक्ष एवं डॉ. केशव शर्मा को प्रदेश महासचिव बनाया गया। इंद्र चंद भंसाली प्रदेश कोषाध्यक्ष रहेंगे। कार्यक्रम में जयपुर जोधपुर एवं चित्तौड़ प्रांत की भी कार्यकारिणी की घोषणा की गई, जिसमें डॉ. ओमप्रकाश भार्गव को जयपुर, डॉ. अखिलानंद को जोधपुर एवं विष्णु प्रसाद शर्मा को चित्तौड़ प्रांत का अध्यक्ष बनाया गया। अधिवेशन में डेढ़ सौ से अधिक साहित्यकार उपस्थित थे

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