हम हिन्दू किसे कहेंगे..?

हिंदुत्व – विभिन्न पहलू, सरलता से/ 1

– प्रशांत पोल

हम हिन्दू किसे कहेंगे..?
जो गीता जानता हो, रामायण – महाभारत जानता हो, वह..?
तो फिर ऐसे अनेक हैं,
जो ना तो गीता जानते हैं, और ना ही रामायण – महाभारत
फिर भी वह हिन्दू हैं..!
फिर जो रोज भगवान् की पूजा करते हैं, वे हिन्दू हैं..?
वैसे भी नहीं
हम में से अनेक ऐसे हैं,
जो कभी कभार ही मंदिर जाते हैं..
कभी कभार ही पूजा करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे भी हैं,
जो भगवान् को ही नहीं मानते।
फिर मंदिर जाना और पूजा करना तो बहुत दूर की बात हैं।
वे सारे हिन्दू हैं..!
तो क्या भारत में रहने वाला ही हिन्दू हैं..?
ऐसा भी नहीं कह सकते।
बंगला देश के 15% नागरिक हिन्दू कहलाते हैं।
उधर दूर फिजी में या सूरीनाम में या मॉरिशस में…
हिन्दू सत्ता में बैठे हैं।
वहां के प्रधानमंत्री भी बने हैं।
इंडोनेशिया के बाली में भी हिन्दू रहते हैं।
तो फिर हिन्दू किसे कहेंगे हम..?
बड़ा ही सम्भ्रम (कंफ्यूजन) निर्माण हो रहा है।
सावरकर जी ने ‘हिन्दू’ की बड़ी सरल व्याख्या की है–
‘असिंधू सिन्धु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका I
पितृभू: पुण्यभूश्चैव सवै हिन्दुरिति स्मृतः II’
सिन्धु नदी से लेकर, हिन्द महासागर पर्यंत फैली हुई
भूमि को जो व्यक्ति अपनी पितृभूमि (पूर्वजों की भूमि)
व पुण्यभूमि मानता है,
वह हिन्दू है..!

अर्थात किसी भी मत / पंथ को मानने वाला,
साथ ही इस देश को अपना मानने वाला व्यक्ति,
हिन्दू है..!
दुसरे किसी भी चश्मे से हम इसे देखेंगे,
तो हतप्रभ रह जायेंगे।
दूसरे किसी भी धर्म में इस प्रकार की परिभाषा नहीं है।
वहां पर, एक धर्मग्रंथ है, एक ईश्वर है।
हिंदुत्व की व्याख्या में यह सब नहीं आता।
आप आस्तिक हैं, तो हिन्दू हैं,
आप नास्तिक हैं, तो भी हिन्दू हैं।
अर्थात हिंदुत्व यह धर्म है ही नहीं।
कारण हम जिसे धर्म कहते हैं,
वह अंग्रेजी religion से बिलकुल भिन्न है।
हिंदुत्व तो हमारी जीवनशैली है।
हमारा कोई एक धर्मग्रंथ नहीं है।
कोई एक भगवान भी नहीं है।
पूजा की कोई एक पद्धति भी नहीं है।
जो लोग इस्लाम या ख्रिश्चन धर्म मानते हो,
उनके लिए यह समझ के बाहर की चीज है।
धर्म ऐसा होता है..?
इसका कारण है,
हमारा हिंदुत्व हमारी जीवनशैली है।
हमारे मूल्य हैं।
जिसे अंग्रेजी में रिलिजन कहते हैं,
वह हमारा ‘धर्म’ नहीं है।
यदि ऐसा हैं, तो फिर हमारा ‘रिलिजन’ कौनसा हैं..?
हिंदुत्व यदि जीवनशैली है
तो हमारी पूजा पद्धति को हम क्या कहें..?
हम इसे ‘सनातन’ कह सकते हैं, ‘वैदिक’ कह सकते हैं।
हम इसे ‘हिन्दू’ भी कह सकते हैं।
सदियों से इस विशाल भरतभूमि के
इतिहास को, सभ्यता को, संस्कृति को
हिन्दू समाज समृध्द करता आया है…
हिंदुत्व की प्राचीन, ऐतिहासिक धरोहर है।
परंपरा है….
हमें तो बस,
इस परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखना है..!

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