हल्दीघाटी और मानगढ़ धाम की माटी पहुंचेगी देश की छात्र शक्ति तक

हल्दीघाटी और मानगढ़ धाम की माटी पहुंचेगी देश की छात्र शक्ति तक

हल्दीघाटी और मानगढ़ धाम की माटी पहुंचेगी देश की छात्र शक्ति तकहल्दीघाटी और मानगढ़ धाम की माटी पहुंचेगी देश की छात्र शक्ति तक

जयपुर, 26 नवम्बर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के जयपुर में शुरू हुए अधिवेशन में देशभर के सैकड़ों छात्र-छात्राओं सहित नेपाल से भी प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। इस अधिवेशन की विशेष बात यह है कि यहां से प्रतिभागियों को हल्दीघाटी और मानगढ़ से लाई गई बलिदानी माटी भी प्रदान की जाएगी, जो उनके साथ पूरे देश के कोने-कोने में पहुंचेगी।

हल्दीघाटी और मानगढ़ धाम से बलिदानी माटी के साथ उदयपुर से आए विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जयेश जोशी ने बताया कि हल्दीघाटी के बारे में कौन नहीं जानता, यहां पर महाराणा प्रताप की सेना ने अकबर की सेना को धूल चटाई थी। मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए महाराणा प्रताप की सेना के कई वीर यहां बलिदान हुए। उनका प्रिय घोड़ा चेतक भी इसी वीरभूमि पर बलिदान हुआ। हल्दीघाटी की भूमि सभी के लिए पूजनीय है।

उन्होंने कहा कि मानगढ़ धाम स्वाधीनता के आंदोलन का सबसे बड़ा जनजाति समाज का बलिदान स्थल है, जहां गोविंद गुरु के आध्यात्मिक चेतना के आंदोलन के साथ अंग्रेजों के बहिष्कार का आंदोलन शुरू हो गया था। मानगढ़ धाम के आसपास रहने वाले जनजाति समाज ने अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध हुंकार भरी थी। गोविंद गुरु के नेतृत्व में 17 नवम्बर 1913 में, जब यहां आध्यात्मिक आयोजन हो रहा था, तब अंग्रेजी सरकार ने गोलियां चलवा दी थीं, जिसमें 1500 से अधिक जनजाति समाज के लोग बलिदान हो गए थे।

ये दोनों ही स्थल मातृभूमि की रक्षार्थ बलिदान हुतात्माओं का स्मरण कराते हैं। इन दोनों स्थानों की माटी जब देश के कोने कोने में पहुंचेगी तो न केवल मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए बलिदान होने वाले उन महापुरुषों की गाथाएं सभी के पास पहुंचेंगी, अपितु युवाओं में राष्ट्र के प्रति सर्वस्व अर्पण का भाव भी जागेगा।

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