हिन्दू आस्थाओं पर चोट, हिन्दुओं को कमजोर करने का षड्यंत्र
अंकुर
हिन्दू आस्थाओं पर चोट, हिन्दुओं को कमजोर करने का षड्यंत्र
हिन्दू आस्थाओं पर चोट, हिन्दुओं को कमजोर करने का एक बड़ा षड्यंत्र है। जब मनुस्मृति को जलाया गया, तब हिंदू चुप रहे। अब रामचरितमानस तक भी वो आँच पहुँच चुकी है। कल को हो सकता है, अगला लक्ष्य श्रीमद्भगवद्गीता को बनाया जाये, फिर पुराण और अंततः उपनिषद और वेदों तक यह अग्नि पहुँचे। दूसरी ओर जिन पुस्तकों में काफिरों के विरुद्ध सतत जिहाद का उल्लेख है, उनको कोई छूकर तो दिखाए। कारण है हिन्दुओं का अपने धर्म ग्रंथों पर अविश्वास और उनकी अज्ञानता।
पहले मनुस्मृति के बहाने ब्राह्मणों और वर्ण व्यवस्था को निशाना बनाया गया। समाज में द्वेष की भावना भारी गई। आज पुनः रामचरितमानस को जला कर देश की आत्मा राम पर प्रहार किए जाने का प्रयास है। राम मंदिर बनने से नहीं रोक पाने वाले लोग अब रामचरितमानस के द्वारा स्थापित घर घर के राम मंदिर को ध्वस्त करने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
इस सबके पीछे का बहुत बड़ा उद्देश्य है, समाज को मानसिक रूप से ग़ुलाम बना लेना। लोगों की आस्था, उनके ग्रंथों के प्रति हीन भावना पैदा करके उनका आधार छीन लेना। उनकी जड़ों को कमजोर कर देना। इस सबसे कन्वर्जन में आसानी होगी।
क्षीण आत्मविश्वास वाले समाज में वीर और महान पुरुष पैदा नहीं होते, होते हैं तो सिर्फ़ लाचार और बेबस लोग जो अपनी सभी परेशानियों के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराते हैं और जीवन भर अपना शोषण करवाते रहते हैं।
इसलिए समय रहते जागिये और अपने ग्रंथों का अपमान करने वालों को कड़ा उत्तर दीजिए, प्रतिरोध करिए। यही समय की माँग है।