मातृ, पुत्र और राज धर्म का त्रिवेणी संगम
लक्ष्मीनारायण भाला “लक्खी दा”
मातृ, पुत्र और राज धर्म का त्रिवेणी संगम
जिस मां ने अपना पुत्र समर्पित,
कर दिया भारत माँ को।
उस माता के परलोक गमन ने,
किया व्यथित भारत को।।
हीराबा ने जिस हीरे को,
मन से था खूब तराशा।
कंधा दे, व्यथित हृदय था, पर
मानस में नहीं हताशा।।
भारी मन से अग्नि देना,
था पुत्र धर्म का पालन।
कर्तव्य भाव से राज धर्म का,
किया त्वरित अनुपालन।।
मातृ, पुत्र और राज धर्म का,
यह त्रिवेणी संगम है।
ऐसे व्यक्तित्वों से ही,
भारत का मस्तक उन्नत है ।।
ऐसा पुत्र पाकर आप और धरती मां दोनो धन्य हुए इस पुत्र ने आपको और आपके नाम को अमर कर दिया मां
नमन वंदन ??️