हुतात्मा हेमू कालाणी व दादा हूंदराज का स्मरण, अमृत महोत्सव के अंतर्गत गोष्ठी का आयोजन

हुतात्मा हेमू कालाणी व दादा हूंदराज का स्मरण, स्वराज 75 के अंतर्गत गोष्ठी का आयोजन

हुतात्मा हेमू कालाणी व दादा हूंदराज का स्मरण, स्वराज 75 के अंतर्गत गोष्ठी का आयोजन

जयपुर। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा स्वाधीनता अमृत महोत्सव के अंतर्गत 31 जनवरी, सोमवार को अकादमी कार्यालय झालाना में हुतात्मा हेमू कालाणी तथा पद्मश्री दादा हूंदराज दुखायल पर आधारित मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। “आज़ादी जा शैदाई शहीद हेमूं कालाणी ऐं पदमश्री दादा हून्दराज दुखायल” नाम से संपन्न गोष्ठी की अध्यक्षता जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. खेमचंद गोकलानी ने की। गोष्ठी में वक्ताओं ने स्वाधीनता आंदोलन में अमर बलिदानी हेमू कालाणी द्वारा छोटे से वय में देश के लिये किए बड़े बलिदान तथा उनकी राष्ट्रभक्ति पर विस्तार से प्रकाश डाला।

पद्मश्री दादा हून्दराज दुखायल के विषय में बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी की सिंध यात्रा से प्रेरणा पाकर उन्होंने देश के स्वाधीनता आन्दोलन के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। दादा दुखायल द्वारा स्वाधीनता के लिए किए गए प्रयासों, साहित्य एवं लोक कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्यकारों में जोधपुर के वरिष्ठ रंगकर्मी हरीश देवनानी, अजमेर के वरिष्ठ साहित्यकार डा.हासो दादलानी, जयपुर की साहित्यकारा डा.गायत्री, टी.आर.शर्मा, वासुदेव मोटवानी, हेमनदास, हर्षा पंजाबी आदि ने हेमू कालाणी एवं हूंदराज दुखायल के योगदान को समर्पित काव्य एवं रचनापाठ किया।

गोष्ठी में सिन्धी भाषी साहित्यकार, पत्रकार, अकादमी के वर्तमान तथा पूर्व सदस्य एवं समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मंच संचालन वासुदेव मोटवानी ने किया। गोष्ठी के अंत में स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान देने वाले देश के समस्त वीर-सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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