मधुस्मिता जेना दास ने साड़ी में जीती मैनचेस्टर मैराथन

मधुस्मिता जेना दास ने साड़ी में जीती मैनचेस्टर मैराथन

मधुस्मिता जेना दास ने साड़ी में जीती मैनचेस्टर मैराथनमधुस्मिता जेना दास ने साड़ी में जीती मैनचेस्टर मैराथन

साड़ी को दकियानूसी और असहज बताने वाले फेमिनिस्ट्स के लिए एक बुरा समाचार है। ऐसे लोगों को आइना दिखाया है उड़ीसा की मधुस्मिता जेना दास ने। मधुस्मिता ने सम्भलपुरी साड़ी पहनकर मैनचेस्टर मैराथन में भाग लिया और नया रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने रविवार को मैनचेस्टर में आयोजित 42.5 किमी की मैराथन दौड़ 4.50 घंटे में पूरी की। यह यूके की दूसरी सबसे बड़ी मैराथन है। मधुस्मिता 41 वर्ष की हैं और अब यूके में ही रहती हैं।

भारत में फेमिनिस्ट अक्सर साड़ी पर प्रश्नचिन्ह लगाते रहते हैं। आधुनिकता के नाम पर कभी साड़ी पहने महिला को रेस्टोरेंट में जाने से रोक दिया जाता है, कभी सिर पर पल्ले का बतंगड़ बनाया जाता है तो कभी साड़ी को बंधन का प्रतीक बताया जाता है। नारी उत्थान के नाम पर नग्नता का समर्थन करने वाले बुर्के पर चुप हो जाते हैं और हिजाब को प्रोग्रेसिव बताते हैं। वे भूल जाते हैं कि भारतीय वीरांगनाओं लक्ष्मीबाई, दुर्गावती आदि ने तो साड़ी में युद्ध तक लड़े थे।

खैर! अब जब इस साड़ी विरोधी इकोसिस्टम पर मधुस्मिता दास ने प्रहार किया है तो देश का एक वर्ग ऐसा भी है, जो प्रसन्नता व्यक्त कर रहा है।

मधुस्मिता के बारे में ट्विटर पर एक पोस्ट में लिखा गया, ‘ब्रिटेन के मैनचेस्टर में रहने वाली मधुस्मिता जेना ने सुंदर सम्भलपुरी साड़ी में मैनचेस्टर मैराथन 2023 को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस स्पर्धा के दौरान उन्होंने अपनी गौरवमयी भारतीय विरासत को प्रस्तुत किया।

एक अन्य व्यक्ति ने ट्वीट किया कि मधुस्मिता को साड़ी में दौड़ लगाते हुए देखकर उसे अत्यंत प्रसन्नता हुई। एक ने कहा, ‘बधाई हो मधुस्मिता! वास्तव में यह गर्व महसूस कराने वाला क्षण है।एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘वाह कितनी प्यारी तस्वीर है। हमें अपनी संस्कृति दुनिया को इस तरह दिखानी चाहिए, जो विदेशी पोशाक पहनने के लिए तैयार हैं, कृपया उससे सीखें।

वहीं मधुस्मिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “मैराथन में साड़ी पहनकर दौड़ने वाली मैं इकलौती व्यक्ति थी। इतने लंबे समय तक दौड़ना अपने आप में एक कठिन काम है, लेकिन मुझे प्रसन्नता है कि मैं 4.50 घंटे में दौड़ पूरी करने में सक्षम थी। कई लोगों का मानना है कि महिलाएं साड़ी पहनकर दौड़ नहीं सकतीं, लेकिन मैंने सम्भलपुरी साड़ी पहनकर यह काम करके उन्हें गलत साबित कर दिया। मैं वैसे भी यूके में गर्मियों के दौरान साड़ी पहनती हूं।” 

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