कर्नाटक के होयसला मंदिरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों में सम्मिलित किया
कर्नाटक के होयसला मंदिरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों में सम्मिलित किया
कर्नाटक के हासन जिले के बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुर के होयसला मंदिरों को 18 सितंबर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों में सम्मिलित किया है। यह निर्णय सऊदी अरब के रियाद में चल रहे विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के समय लिया गया। होयसला मंदिर भारत के 42वें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।
बेलूर के चेन्नाकेशव मंदिर और हलेबिड के होयसलेश्वर मंदिरों (हसन जिले में) को 15 अप्रैल 2014 को यूनेस्को की अस्थायी सूची में सम्मिलित किया गया था। भारत ने सोमनाथपुर के मंदिर को भी इस सूची में जोड़कर, तीनों मंदिरों को जनवरी 2022 में वर्ष 2022-23 के लिए विश्व धरोहर स्थल में सम्मिलित करने के लिए नामांकन किया था। ये तीनों होयसला मंदिर पहले से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित स्मारक हैं।
होयसला मंदिर अपनी विशिष्ट शैली के लिए जाने जाते हैं। ये मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी में बनाए गए थे, जो कला एवं साहित्य के संरक्षक माने जाते हैं।
बेलूर में चेन्नाकेशव मंदिर का निर्माण 1117 ईस्वी में राजा विष्णुवर्धन के समय में प्रारम्भ हुआ था। इसे पूर्ण होने में 103 वर्ष का समय लगा। होयसलेश्वर मंदिर का निर्माण 1121 ईस्वी में हुआ था, जबकि मैसूर जिले के सोमनाथपुर में केशव मंदिर का निर्माण 1268 ई. में नरसिम्हा तृतीय के शासनकाल में सोमनाथ दंडनायक द्वारा करवाया गया था।
पुरातत्व संग्रहालय और विरासत विभाग के आयुक्त ए देवराजू ने कहा कि विश्व धरोहर स्थलों के रूप में 3 स्थलों के शिलालेख से उन तीन स्मारकों को वैश्विक मान्यता मिलेगी, जो मूर्तियों और नक्काशी के लिए जाने जाते हैं। इससे पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जानकारी देते हुए लिखा कि “होयसला मंदिरों की शाश्वत सुंदरता और शिल्प भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व हमारे पूर्वजों के असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण हैं।”
वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में शांति निकेतन को भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किए जाने पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि “प्रसन्नता है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांति निकेतन को यूनेस्को विश्व विरासत सूची में अंकित किया गया है। यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है।”
1901 में टैगोर द्वारा स्थापित, शांति निकेतन एक आवासीय विद्यालय था। यह प्राचीन भारतीय परंपराओं, धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से अलग, मानवता की एकता की दृष्टि पर आधारित कला का केंद्र था।
मानवता की एकता या “विश्व भारती” को मान्यता देते हुए 1921 में शांति निकेतन में एक ‘विश्व विश्वविद्यालय’ की स्थापना की गई थी।