BNA कमाण्डर डॉ. गुलज़ार इमाम ISI के हाथ लगे, BAASK मीडिया ने पुष्टि की
जितेन्द्र कुमार सैन
BNA कमाण्डर डॉ. गुलज़ार इमाम ISI के हाथ लगे, BAASK मीडिया ने पुष्टि की
इस्तांबुल। BNA (बलूचिस्तान नेशनल आर्मी) के कमांडर डॉ. गुलज़ार इमाम पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI (Inter-Services Intelligence) की पकड़ में हैं। उन्हें ईरान से तुर्की पहुंचने पर एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। BAASK मीडिया ने हाल ही में एक प्रेस रिलीज जारी कर इसकी पुष्टि की है। उनकी ख़ुफ़िया यात्रा का ISI को कैसे पता चला, इस विषय में BNA ने अपने संगठन स्तर पर इसकी जांच का आदेश दिया है। कुछ सूत्रों के अनुसार, BNA प्रमुख गुलज़ार इमाम को ईरानी सेना (Islamic revolutionary guard cops) ने ईरान के जाहेदन से गिरफ्तार कर पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI को सौंप दिया। पाकिस्तान की सेना ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
कुछ बलूच कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने गुलज़ार इमाम को इस्लामाबाद में रखा है। बलूच आन्दोलन को बदनाम करने के लिए पाकिस्तानी सेना गुलज़ार इमाम पर दबाव बना कर उनका इक़बालिया बयान दर्ज करना चाहती है। लेकिन गुलज़ार इमाम काफ़ी मजबूत कार्यकर्ता हैं। पाकिस्तानी सेना अत्याचारों के बावजूद उनसे कुछ भी उगलवाने में असफल रही है। बताया जा रहा है, गुलज़ार इमाम अपनी दूसरी पहचान से किसी दूसरे देश में सुरक्षित स्थान पर जाना चाहते थे।
गुलजार इमाम के पाकिस्तानी सेना के हाथों गिरफ्तार होने के बाद BNA में नेतृत्व संकट उत्पन्न हो गया है। विदेश में राजकीय शरण प्राप्त एक बलूच एक्टिविस्ट का कहना है कि BNA प्रमुख के पकड़े जाने से BNA को बड़ी हानि हुई है। BNA जल्द ही नए कमांडर की घोषणा करेगा और पाकिस्तान सरकार व सेना के विरुद्ध हमले तेज किए जाएंगे।
दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना व सरकार बलूच आंदोलन पर अपने पड़ोसी देशों पर आरोप लगाती आई है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ इनको फंड व ट्रेनिंग मुहैया कराती है। अफ़ग़ान-पाक के पूर्व राजदूत रिचर्ड हॉलब्रुक ने पाकिस्तान के इस आरोप पर 2011 में वॉशिंगटन में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि “पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के अलगाववादी आंदोलन को लेकर भारत पर जो आरोप लगाए हैं, उन पर पाकिस्तान कोई ठोस पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया है, इन आरोपों की विश्वसनीयता संदिग्ध है। पाकिस्तान का आरोप था कि भारत अफगानिस्तान की तत्कालीन सरकार में अपने वाणिज्य दूतावास से बलूच आंदोलन को फंड व सहयोग मुहैया करवा रहा है, लेकिन इन आरोपों को पाकिस्तान वॉशिंगटन के सामने साबित करने में असफल है। यह मामला पाकिस्तान की आंतरिक कलह का है, जो उसे अपने स्तर पर निपटाना चाहिए।”
पाकिस्तान ऐसे ही आरोप अफगानिस्तान और ईरान पर भी लगाता रहता है, लेकिन अभी अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आने से पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान से आश्वस्त हो गया है। पाकिस्तान का मुख्य सहयोगी हक्कानी नेटवर्क अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार में अहम भूमिका में है।
पाकिस्तान में पनपता गृहयुद्ध
पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था व राजनीतिक व्यवस्था दोनों ही चरमराई हुई हैं। पाकिस्तान की सेना के पाकिस्तान की राजनीति व व्यवस्था में सीधा दख़ल होने से पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री अपना शासनकाल पूरा नहीं कर पाता। पाकिस्तान के विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में जनता केवल वोट देती है, लेकिन सरकार पाकिस्तान की सेना बनाती है। पाकिस्तानी सेना जिसे प्रधानमंत्री तय करती है वो पाकिस्तान का वज़ीरे आजम होता है।
पाकिस्तान के हर प्रान्त में अलगाववादी हथियार बंद आंदोलन चल रहे हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तान के विरुद्ध बलूच लड़ रहे हैं तो ख़ैबऱ पख्तूनख्वा में पश्तून TTP (तहरीके तालिबान पाकिस्तान) के माध्यम से पाकिस्तान के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध में हैं। TTP के नेता नूर वली मोहम्मद ने 2018 में TTP को पुर्नगठित कर जीवित कर दिया है। अभी हाल ही में इसने पाकिस्तान को खुले युद्ध की धमकी दी है।सिंध तो पाकिस्तान के बनने के समय से ही अलग सिंधु देश की मांग कर रहा है, यहॉं सिंधी व मुहाजिर पाकिस्तान के विरुद्ध मुखर हैं।
पंजाब में इमरान खान को काफ़ी समर्थन प्राप्त है। उनकी पार्टी PTI ने वहाँ चुनावों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन पाकिस्तानी सेना के पूर्व आर्मी चीफ बाजवा ने पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ़ के साथ मिलकर पाकिस्तान की इमरान सरकार को गिरा दिया था। उनके बाद जब शाहबाज शरीफ व बाजवा ने नए आर्मी चीफ आसिम मुनीर को नियुक्त किया है, जो इमरान खान के धुर विरोधी माने जाते हैं। वहीं इमरान खान पाकिस्तान के पहले राजनेता हैं, जो पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध खुला मोर्चा खोले हुए हैं। इमरान खान को पंजाब के मध्यम वर्ग का काफ़ी समर्थन है। इस समर्थन से सेना व सरकार दोनों बैकफुट पर हैं। इतिहास में पहली बार पाकिस्तानी सेना के बड़े अफसरों के घर के बाहर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। पाकिस्तान की सेना अब विश्व व देश दोनों में घिर गई है।
PoJK (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर) पाकिस्तान के लिए एक नासूर है क्योंकि इसे आज़ाद कश्मीर बनाने के बाद पाकिस्तान इसका कोई विशेष लाभ नहीं उठा पाया है। केवल PoJK में पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध के आतंकियों के लॉन्च पैड बनाये और भारत में घुसपैठ करवाता है। पूरा पाकिस्तान चीन के कर्ज के मकड़जाल में फंसा हुआ है, इससे उबरने के लिए उसने बलूचिस्तान व PoJK दोनों ही चीन को लीज पर दे दिए हों, ऐसा प्रतीत होता है। पाकिस्तान को एक भ्रम है कि चीन भारत से PoJK की रक्षा करेगा। लेकिन जम्मू-कश्मीर से 370 व 35ए हटाने के बाद भारत के गृहमंत्री व रक्षा मंत्री दोनों ही आधिकरिक बयान जारी कर चुके हैं कि PoJK भारत का है, उसे जल्द ही भारत के अधिकार में लिया जाएगा।