8 मई को जम्मू में एकत्रित होंगे PoJK विस्थापित, रखेंगे PoJK खाली कराने की मांग

8 मई को जम्मू में एकत्रित होंगे PoJK विस्थापित, रखेंगे PoJK खाली कराने की मांग
8 मई को जम्मू में एकत्रित होंगे PoJK विस्थापित, रखेंगे PoJK खाली कराने की मांग8 मई को जम्मू में एकत्रित होंगे PoJK विस्थापित, रखेंगे PoJK खाली कराने की मांग
22 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह द्वारा जम्मू कश्मीर का भारत में अधिमिलन करने के निर्णय से पहले ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया और जम्मू कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया। इस हमले के दौरान पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर (PoJK) से 50 हजार से अधिक परिवार विस्थापित हुए। इन परिवारों के लाखों लोग अपना घर छोड़कर जम्मू कश्मीर के अलग-अलग क्षेत्रों में बसे। इनमें से लगभग 5300 परिवार ऐसे थे जो जम्मू कश्मीर में न बसकर देश के अन्य हिस्सों में बसे।
जम्मू में 8 मई को पुण्य भूमि स्मरण सभा का आयोजन
इतिहास का वह काला दिन 75 वर्ष पीछे छूट चुका है। लेकिन लोगों के घाव आज भी हरे हैं। हमले के दौरान पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर से विस्थापित हो यहॉं-वहॉं बिखरे लोग अब एक मंच पर एकत्र हो रहे हैं। 1947 के दौर में अपना बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि देने व अपनी भूमि को नमन करने के लिए 8 मई को ‘जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम‘ के तत्वाधान में जम्मू के गांधीनगर में ‘पुण्य भूमि स्मरण सभा‘ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भारी संख्या में लोगों के पहुंचने की सम्भावना है।
PoJK विस्थापितों के लिए विशाल कार्यक्रम का किया जाएगा आयोजन 
‘जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम‘ के प्रधान रमेश सभ्रवाल ने बताया कि 8 मई को PoJK विस्थापितों के लिए एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। सभी को कार्यक्रम के बारे में अवगत कराने का प्रयास है।
कौन हैं पीओजेके विस्थापित परिवार?
आज से 75 वर्ष पहले पाकिस्तानी सेना समर्थित कबाइलियों ने कुल्हाड़ियों, तलवारों, बंदूकों और हथियारों से लैस होकर जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था। जहां उन्होंने पुरुषों, बच्चों की हत्या कर दी और महिलाओं को गुलाम बनाकर उनका कई दिनों तक बलात्कार किया था। 73 साल पहले हुई इस घटना को जम्मू-कश्मीर के लोग अभी तक नहीं भूले हैं। उस समय लाखों की संख्या में हिन्दू व सिखों ने आज के पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर से पलायन किया था। पाकिस्तानी सैनिकों की मुजफ्फराबाद, केल, जोड़ा, चोहाला, मीरपुर, कोटली में की गई हैवानियत के भुक्तभोगियों की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़े कर देगी। उस दर्द को जम्मू-कश्मीर के लोग आज भी नहीं भूले हैं।
इस नरसंहार के दौरान 50 हजार से अधिक परिवार हुए थे विस्थापित 
पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर से विस्थापित लोगों की पीढ़ियों ने, पूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य के अंदर और बाहर दोनों जगह, न केवल एक भयानक और कठिन जीवन का सामना किया है, बल्कि नियमित जीवन जीने में अनगिनत समस्याएं भी भोगी हैं।
बुजुर्गों की भयानक कहानियां युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं। वे उन्हें तब तक लड़ने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में भी काम करती हैं जब तक कि वे अपनी जन्मभूमि पर वापस नहीं लौट जाते।
5300 परिवारों को 75 वर्षों तक अपने अधिकारों के लिए करना पड़ा है लंबा संघर्ष 
इन 5300 परिवारों को 75 वर्षों तक अपने अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है। न तो उनको जम्मू कश्मीर में पीआरसी मिला, न ही कोई मुवाअजा। 1971 में जम्मू कश्मीर सरकार ने विस्थापित परिवारों के लिए ‘द जम्मू कश्मीर डिस्पलेस्ड पर्सन्स’ (परमानेंट रीसेटलमेंट) एक्ट 1971 बनाया। इसके बाद 1978 में Rajya Sabha Committee on Petitions (Persons Uprooted From Pak Occupied areas of J&K State), इसके बाद 2013 में बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी की अध्यक्षता में सब-कमेटी बनी।
मोदी सरकार में 36, 384 विस्थापित परिवारों को मिला मुआवजा 
पार्लियामेंट्री कमेटी की सिफारिशों के बावजूद इन परिवारों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली। लेकिन 2014 में बीजेपी सरकार आने के बाद पीओजेके विस्थापितों को फिर से आशा जगी। जिसको 2016 में मोदी सरकार ने पूरा करने का प्रयास किया। लेकिन उस समय भी 36,384 परिवारों को ही मुआवजा मिला। इसमें भी वे 5300 परिवार बचे रहे। इनमें से कुछ लोग हिमाचल, उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे देश के ने हिस्सों में अपना जीवन यापन करने लगे।
1994 को देश की संसद में प्रस्ताव पारित
उल्लेखनीय है कि नरसिम्हा राव सरकार के दौरान 22 फरवरी 1994 को देश की संसद में प्रस्ताव पारित कर कहा गया था कि पीओजेके जम्मू कश्मीर और भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान ने हिस्से पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है। लिहाजा पाकिस्तान को यह हिस्सा खाली करना होगा। बावजूद इसके पाकिस्तान ने उस हिस्से को नहीं छोड़ा। अब एक बार फिर 8 मई को जम्मू में POJK विस्थापितों को एक मंच पर एकत्र करने, 1947 के दौर में अपना बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि देने व अपनी भूमि को नमन करने के लिए ‘जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम‘ द्वारा ‘पुण्य भूमि स्मरण सभा‘ का आयोजन किया जा रहा है।
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