राम मंदिर के लिए घर- घर ‘अक्षत’ आमंत्रण, राजस्थान में बंटेंगे 125 क्विंटल पीले चावल

राम मंदिर के लिए घर- घर 'अक्षत' आमंत्रण, राजस्थान में बंटेंगे 125 क्विंटल पीले चावल

 राम मंदिर के लिए घर- घर 'अक्षत' आमंत्रण, राजस्थान में बंटेंगे 125 क्विंटल पीले चावल

-36 हजार गांवों में पहुंचेगा आमंत्रण

जयपुर। लगभग पांच सौ वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद भगवान रामलला का भव्य मंदिर तैयार हो रहा है। अब कुछ ही दिन शेष हैं, जब मंदिर में प्रभु श्री राम विराजमान होंगे। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। इस उपलक्ष्य में सम्पूर्ण भारत में धूमधाम से उत्सव मनाया जाएगा। उत्सव की इसी श्रृंखला में 1 से 15 जनवरी तक राजस्थान में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से अभियान चलाया जाएगा। अभियान के अंतर्गत संघ के स्वयंसेवक राम मंदिर का चित्र और पीले चावल लेकर घर-घर जाएंगे और रामलला के दर्शन के लिए आमंत्रण देंगे। 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक समारोह के उपलक्ष्य में अपने निकटतम मंदिर समारोह में सम्मिलित होने का आग्रह करेंगे।

विश्व हिन्दू परिषद राजस्थान के क्षेत्र संगठन मंत्री राजाराम ने बताया कि राम महोत्सव के सफल आयोजन के लिए विश्व हिन्दू परिषद एवं रामराज्य चेरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में पीले चावल तैयार किए जा रहे हैं। पूरे राज्य में लगभग 125 क्विंटल पीले चावल घर- घर बंटेंगे। राजस्थान में लगभग छत्तीस हजार गांवों तक चावल वितरण करके राम महोत्सव के लिए विभिन्न समितियों के माध्यम से निमंत्रण दिया जाएगा। इसके अलावा टोलियां भी बनाई जा रही हैं, जो गांव- ढाणियों में आमंत्रण पहुंचाएंगी।

जोधपुर के घी से होगी रामलला की पहली आरती

रामलला की आरती- हवन में जोधपुर की श्रीश्री महर्षि संदीपनी राम धर्म गौशाला में तैयार घी का उपयोग होगा। इसके लिए गौशाला से 11 विशेष रथों में 600 किलो देशी घी अयोध्या रवाना किया गया है। यह घी विशेष तौर से रामलला की पहली आरती और हवन के लिए ही तैयार किया गया है, इसे नौ वर्षों से तैयार किया जा रहा था। इन रथों को गौशाला में तैयार करने में छह माह लगे। प्रत्येक रथ पर 3.5 लाख रुपए लागत आई। इन रथों में 108 स्टील के कलश रखे हैं।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बताते हैं कि, ” राम मंदिर में जो पत्थर उपयोग में लिया जा रहा है वो राजस्थान के भरतपुर स्थित बंशी पहाड़पुर गांव की पहाड़ियों का है। यह पिंक कलर का सैंड स्टोन है। मंदिर में लकड़ी की नक्काशी का काम कन्याकुमारी तथा लकड़ी के दरवाजों का काम हैदराबाद के कारीगर कर रहे हैं। लकड़ी महाराष्ट्र से मंगवाई गई है। इसके अलावा ग्रेनाइट तेलंगाना और कर्नाटक का है। पत्थरों पर मूर्ति बनाने का काम उड़ीसा के कारीगर कर रहे हैं। मंदिर के गर्भगृह में प्रभु श्री राम का बालक रूप रखा जाएगा। इसमें पांच वर्ष के बालक की कल्पना की गई है। इस तरह पूरा देश यहां पर सम्मिलित है।”

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