आदि गुरु शंकराचार्य, जिन्होंने भारतवर्ष को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया
शुभांगी उपाध्याय ” ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः” ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या…
शुभांगी उपाध्याय ” ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः” ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या…
प्रीति शर्मा भारत विकासशील अर्थव्यवस्था होते हुए भी संतुलित जीवन शैली के दर्शन एवं आध्यात्म…
रवि प्रकाश समस्या चाहे जैसी भी हो, चिंतन कर उसका समाधान निकाला जा सकता है।…