शास्त्रार्थ

आदि गुरु शंकराचार्य, जिन्होंने भारतवर्ष को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया

शुभांगी उपाध्याय ” ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः” ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या…