अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढ़ना आवश्यक- मनोज कुमार

अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढ़ना आवश्यक- मनोज कुमार
प्रयागराज, 25 फरवरी। इलाहबाद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा सोमवार (24 फरवरी) को हाउ टू अनलॉक पॉवर ऑफ लिटरेचर विषय पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संवादकर्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने विद्यार्थियों से पुस्तकों के पठन-पाठन पर विशेष बातचीत करते हुए कहा कि अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढ़ना और अच्छा बोलने के लिए अच्छा सुनना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि युवाओं में पढ़ने की प्रवृत्ति पहले की तुलना में बढ़ रही है। साहित्य के प्रति लगाव भी दिखाई देता है। केवल माध्यमों में परिवर्तन हुआ है। युवा पीढ़ी नए माध्यम से साहित्य को पढ़ती है। इसके अलग-अलग प्रकार हैं, जैसे डिजिटल बुक, ऑडियो बुक ऑनलाइन रीडिंग आदि। इन साधनों का उपयोग युगानुकूल भी है। युवाओं का पढ़ने का स्वभाव नहीं है, यह मात्र भ्रांति है। हमें इसका तर्कयुक्त खंडन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपने विचारों की प्रभावी अभिव्यक्ति, विषय की समृद्धि व आत्म संतुष्टि के लिए साहित्य पठन अत्यधिक उपयोगी है। पठन की प्रवृत्ति जागृत करने व प्रोत्साहन के लिए छोटे- छोटे उपक्रम जैसे जन्मदिवस पर पुस्तक भेंट करना, पुस्तकों के विमोचन, परिचय, चर्चा व समीक्षा आदि में सम्मिलित होना आदि करते रहना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को देश में आयोजित होने वाले पुस्तक मेलों व साहित्य महोत्सवों में सक्रिय सहभागिता के लिए भी प्रेरित किया।
मनोज कुमार ने कहा, पठन को रुचिकर बनाने के लिए छोटी जिज्ञासापरक कहानी या उपन्यास से पढ़ना प्रारम्भ कर सकते हैं। क्या पढ़ें, इसका अनुभवी लोगों से परामर्श भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा, वर्तमान में ऐसे साहित्य के सृजन की आवश्यकता है, जिससे युवा स्वयं को जोड़ सके।
संवाद कार्यक्रम में प्रश्नोत्तर का क्रम भी था, जिसका संचालन विभाग के शिक्षक डॉ. हरिनाथ कुमार ने किया। कार्यक्रम का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. अश्वजीत चौधरी के मार्गदर्शन में हुआ। शिक्षक डॉ. अमित शर्मा ने शॉल ओढ़ाकर अतिथि वक्ता का स्वागत किया। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षक और विद्यार्थी शामिल रहे।
उत्तम
मनोज जी द्वारा साहित्य और युवा पीढ़ी के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रकट हुआ है ।
अन्यथा हम सब युवा पीढ़ी को दोष देते रहते हैं कि यह पढ़ती नहीं है और पाठक काम हो गए हैं ।
जबकि मनोज कुमार जी ने बिल्कुल सही कहा है युवा पढ़ता रहा है , केवल माध्यम में परिवर्तन हुआ है।
साहित्य और युवाओं के प्रति उत्कृष्ट विचार
साहित्य ओरियो के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रकट हुआ है
साहित्य और युवाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रकट हुआ है।
आपके विचारों से युवाओं में साहित्य के प्रति अभिरुचि जागृत होगी
बच्चों से संवाद आवश्यक है और बच्चों की बातों को सकारात्मक रूप से लेने की भी आवश्यकता है और उन्हें संकेत के द्वारा उनके विचारों में संशोधन करवाना आवश्यक है.सारगर्भित उद्बोधन पढ़कर अच्छा लगा.