संघ की प्रतिनिधि सभा – संगठित राष्ट्र जीवन का लघु कुम्भ
संघ की प्रतिनिधि सभा भाग- 2
नरेन्द्र सहगल
‘परम वैभवशाली राष्ट्र’ इस उद्देश्य के साथ भारत के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ सत्ता की राजनीति से अलिप्त रहते हुए एक अपराजेय जनसत्ता अर्थात राष्ट्रशक्ति के निर्माण में जुटा हुआ है। प्रत्यक्ष शाखा कार्य और अपने लगभग 40 अनुषांगिक सगंठनों के साथ संघ निरंतर अपने ध्येय की ओर आगे बढ़ रहा है। संघ के इस अति विशाल वास्तविक स्वरुप का प्रतिनिधित्व करती है अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक (19-20 मार्च बंगलौर)।
इस वार्षिक बैठक में संघ के वैचारिक आधार, अतुलनीय कार्यपद्धति और संघ का उद्देश्य इत्यादि को एक साथ, एक स्थान पर समझा और देखा जा सकता है। भारत के कोने-कोने से आये प्रतिनिधियों को एक परिवार के रूप में देखकर ऐसा लगता है मानो एक अनुशासित, संगठित और उन्नत राष्ट्र अपने लघु आकार में साकार हो गया हो। प्रयागराज कुम्भ के अवसर पर करोड़ों देशवासियों की जिस भावनात्मक एकजुटता के दर्शन होते हैं, उसी का अनुभव इस वार्षिक बैठक में होता है।
संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की यह बैठक वास्तव में एक लघु कुम्भ ही होता है जो 12 वर्षों के बाद नहीं बल्कि प्रत्येक वर्ष सम्पन्न होता है। इस बैठक में भाग लेने वाले लगभग डेढ़ हजार प्रतिनिधि राष्ट्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो रहे संघ कार्य का लेखा जोखा प्रस्तुत करते हैं। धर्म, संस्कृति, राजनीति, किसान, मजदूर, शिक्षा, विद्यार्थी, आर्थिक जगत, वनवासी क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, गो संवर्धन, सीमा सुरक्षा, साहित्य प्रकाशन और पत्रकारिता इत्यादि में सक्रिय संघ के समर्पित स्वयंसेवकों के परिश्रम का परिचय इस लघु कुम्भ में मिलता है।
संघ के सरकार्यवाह द्वारा देश भर के कार्य की एक विस्तृत रिपोर्ट के साथ यह बैठक प्रारभ होती है। इस रिपोर्ट में वर्ष भर के संघ कार्य की प्रगति की जानकारी सभी कार्यकर्ताओं को दी जाती है। देश में विभिन्न शाखाओं एवं क्षेत्रों में हो रहे कार्य के ताजा आंकड़ों से एक दूसरे से सीखने का अवसर मिलता है। जो काम बड़े-बड़े भाषणों, लेखों, पुस्तकों और उपदेशों से नहीं होता वह तीन दिन के इस वैचारिक कुम्भ में आराम से हो जाता है।
गहरा चिंतन (सरस्वती), स्नेहिल चर्चा (यमुना) और सर्वसहमति (गंगा) का अतिपवित्र संगम है संघ की ये अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा। इन पंक्तियों के लेखक ने स्वयं इस संगम में नौ बार स्नान किया है। उसी अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह संगम वर्तमान में चर्चित ‘महागठबंधन’ से लाखों कोस दूर देव दुर्लभ समर्पित कार्यकर्ताओं का ‘महामंगल मिलन’ है।
इस वार्षिक बैठक में कार्य की प्रगति के अतिरिक्त नए अनुभवों, नए प्रयोगों, नए प्रकल्पों और नयी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा होती है और सर्व सहमति से निर्णय लिए जाते हैं। राष्ट्र जीवन के प्रत्येक वर्ग/क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे संघ के कार्यकर्ताओं ने अब पर्यावरण, जल सरंक्षण, परिवार व्यवस्था और देव स्थानों की सनातन परपंरा की रक्षा इत्यादि क्षेत्रों में भी कार्य करने का निश्चय किया है।
आत्म प्रशंसा, अंधाधुंध प्रचार, काम करना कम, बताना अधिक और मनगढ़ंत/ कागजी राजनीतिक कार्यप्रणाली को पूर्णतया तिलाजंली देकर संघ अपनी सेवाभावी, ध्येयनिष्ठ और परिस्थिति निरपेक्ष कार्यपद्धति पर अडिग रहकर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। संक्षेप में यही है इस चिंतनशाला (प्रतिनिधि सभा) का परिचय।
क्रमश: ………..