आरजी कर अस्पताल : स्टिंग ऑपरेशन हों तो कई राज खुलेंगे
आरजी कर अस्पताल : स्टिंग ऑपरेशन हों तो कई राज खुलेंगे
बंगाल के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई वीभत्सता पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़क पर हैं और ममता सरकार से न्याय माँग रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनके साथ ही नहीं, सोशल मीडिया पर मुद्दा उठाने वाले लोगों से भी क्रूरता से पेश आ रही हैं।14 अगस्त को बंगाल में प्रदर्शनकारियों पर हमला हुआ, उपद्रवियों ने अस्पताल में घुस कर तोड़फोड़ की, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सबूत मिटाने के प्रयास हुए और अब बंगाल पुलिस यह मामला उठाने वाले नेटीजंस को ढूंढ-ढूंढ कर निशाना बना रही है।
16 अगस्त को एक महिला डॉक्टर ने अपने ट्वीट के माध्यम से बताया कि मामले से संबंधित ट्वीट करने पर कोलकाता पुलिस उनके घर पहुँच गई और पोस्ट डिलीट करने के साथ ही थाने आने के लिए कहा।
इसी मामले में शेफाली वैद्य व एक अन्य (लेडी खबरी नाम का ट्विटर हैंडल) को भी कोलकाता पुलिस ने नोटिस जारी किया है, जिसमें उनकी पोस्ट को आपत्तिजनक, दुर्भावनापूर्ण और भड़काऊ बताते हुए एक्शन लेने की बात कही गई है।
लेडी खबरी लिखती हैं, मुझे भी साइबर सेल कोलकाता से एक नोटिस मिला है। जब वास्तविक साइबर अपराध की रिपोर्ट की जाती है तो वे कभी उत्तर नहीं देते। वह लिखती हैं, नूपुर जी अब समझ आया आपने बंगाल क्यों छोड़ दिया?
ममता प्रशासन उस मामले को दबाना चाहता है, जिसमें दरिंदगी की सारी सीमाएं पार कर दी गईं। मृतक महिला के शरीर में 150 मिलीग्राम सीमेन पाया गया। उसके दोनों पाँव 90 डिग्री पर फैले मिले, उसकी आँखों से खून बह रहा था। पूरे शरीर पर जख्म के निशान थे। दो बार गला घोंटा गया था और यह सब हुआ था कॉलेज के सेमिनार रूम में। इतने साक्ष्यों के बाद भी पहले इसे आत्महत्या बताकर पल्ला झाड़ने के प्रयास हो रहे थे और अब लोगों की आवाज को कुचल कर मामले को दबाने के। टीएमसी के अभी कुल 29 सांसद हैं, जिनमें 11 महिलाएँ हैं। राज्य की मुख्यमंत्री भी महिला हैं। लेकिन 31 वर्षीय इस महिला डॉक्टर को नृशंस मौत देने वाली दरिंदगी पर ये सब चुप हैं।
वैसे आरजी कर मेडिकल कॉलेज / अस्पताल में हत्याकांड को आत्महत्या बताने का यह पहला मामला नहीं है। 23 वर्ष पहले 25 अगस्त 2001 को सौमित्र नाम का एक छात्र भी अपनी जान गंवा चुका है। यह मामला अभी भी कलकत्ता हाईकोर्ट और सीआईडी जांच के बीच अटका हुआ है। पुलिस ने सीपीएम की छात्र शाखा एसएफआई (SFI) के कई सदस्यों से पूछताछ की थी, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल सका। इस मामले में सौमित्र की मॉं और छात्रों ने कॉलेज के कुछ अन्य छात्रों पर सौमित्र की हत्या का आरोप लगाया था।
सौमित्र की माँ का कहना था कि उनके बेटे को परिसर में चल रही अश्लील गतिविधियों – पोर्नोग्राफी एवं वेश्यावृत्ति नेटवर्क का पता चल गया था। इसीलिए सौमित्र की हत्या कर दी गई। छात्रों के अनुसार, सौमित्र ने हॉस्टल के कमरों में अश्लील तस्वीरें और वीडियो शूट करने के घिनौने काम को उजागर करने की कीमत चुकाई। छात्रों ने बताया था कि, सप्ताह के अंत में सेक्स वर्करों को बुलाकर हॉस्टल, अस्पताल के क्लास और सेमिनार रूम तक में शूटिंग की जाती थी। जब कोई सेक्स वर्कर नहीं मिलती थी तो वे पढ़ाई के लिए अस्पताल में लाए गए शवों का प्रयोग करते थे और उनकी नग्न तस्वीरों पर मॉडल व कॉलेज छात्राओं के चेहरे लगाते थे। इस रैकेट को एक राजनेता का समर्थन था। कॉलेज प्रशासन जान कर भी अनजान बना रहता था।
छात्रावास के ही उसके एक साथी ने कहा था, “हम सब इस बारे में जानते थे, लेकिन हम में से किसी में भी इसे चुनौती देने का साहस नहीं था। लेकिन जब इस रैकेट ने सौमित्र की गर्ल फ्रेंड का चेहरा किसी महिला के नंगे शरीर के साथ जोड़ दिया तो सौमित्र स्वयं को रोक नहीं सका, यही उसकी मौत का कारण बना।”
कोलकाता में एक क्लीनिक में नर्स रश्मि (परिवर्तित नाम) कहती हैं, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्टिंग ऑपरेशन हों तो कई राज खुलेंगे।