आदर्श सहयोग समिति की पहल: एलपीजी शवदाह गृह के माध्यम से बचा रहे पेड़

आदर्श सहयोग समिति की पहल: एलपीजी शवदाह गृह के माध्यम से बचा रहे पेड़

आदर्श सहयोग समिति की पहल: एलपीजी शवदाह गृह के माध्यम से बचा रहे पेड़

देश में अंत्येष्टि के लिए प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाते हैं। राजस्थान सरकार का वन विभाग मानता है कि प्रदेश में देश के 9 फीसदी वनों का फैलाव है। इसके विपरीत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक रिसर्च अनुसार राजस्थान में वन क्षेत्र महज 7.5 से 8 प्रतिशत होने का अनुमान है। ऐसे में एक बार फिर राजस्थान में वन क्षेत्र के घटने के संकेत मिल रहे हैं। इसे रोकने की दिशा में जयपुर की ‘आदर्श सहयोग समिति’ ने एलपीजी शवदाह गृह शुरू कर प्रकृति संरक्षण की दिशा में नई पहल की है।

आदर्श नगर मुक्तिधाम में वर्ष 2019 में शुरू किए एक एलपीजी फर्नेन्स द्वारा सर्वजन हिन्दू समाज के लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। समिति के प्रयास इतने सफल सिद्ध हुए हैं कि आदर्श नगर मुक्तिधाम में होने वाले अधिकतम अंतिम संस्कार एलपीजी फर्नेन्स द्वारा ही किए जा रहे हैं। समाज में जनचेतना के कारण इसके प्रति बढ़े रुझान को देखते हुए अब दो एलपीजी फर्नेन्स द्वारा अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। समिति द्वारा इसमें संस्कार सम्बंधी व्यवस्थाओं के उपभोग का शुल्क पांच हजार रूपए निर्धारित किया गया है।

सामाजिक सरोकार के स्लोगन ‘एक गांव, एक कुआं व एक श्मशान’ के समरस समाज के लक्ष्य को समर्पित यह मोक्षधाम सर्व हिन्दू समाज के लिये गत 65 वर्षों से ‘आदर्श सहयोग समिति’ द्वारा संचालित है और यह एलपीजी भट्टी स्थानीय व्यक्तियों व सामाजिक एवं धार्मिक संस्थानों द्वारा दिए गए दान से वर्ष 2019 में स्थापित की गई थी। इस मोक्षधाम में किसी की परंपरा बाधित न हो उसके लिये एक अस्थि-गृह व एक अस्थि पूजा का कक्ष अलग से बना हुआ है।

स्थानीय निवासी कीमतीलाल का कहना है कि यह एक कारगर प्रक्रिया है। यहां अंत्येष्टि में जिस प्रक्रिया की पालना होती है, उससे लकड़ी में प्रायः रह जाने वाले जीवों की हत्या को भी रोका जा सका। साथ ही इस प्रक्रिया से लगभग 2 घण्टों मे ही अस्थियों (फूलों) को प्राप्त किया जा सका। वहीं सेठी कॉलोनी निवासी विजय का कहना है कि प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के अनेक घटकों जैसे वृक्ष, जल, वायु, अग्नि आदि को पवित्र मानकर उनकी पूजा की जाती रही है। ऐसे में प्रकृति संरक्षण की दिशा में इससे अच्छा विकल्प कोई दूसरा नहीं हो सकता।

समिति की अपील
आदर्श सहयोग समिति ने अपील जारी करते हुए कहा है कि यहां आदर्श नगर मुक्तिधाम के अलावा क्षेत्र में नगर निगम व कई अन्य स्थानों पर क्रियाकर्म के लिए श्मशान हैं। जिसमें से एक नगर निगम द्वारा भी संचालित है। ऐसे में आमजन से अपील है कि पर्यावरण बचाने के लिए आगे आएं और अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार एलपीजी फर्नेन्स से ही करवाएं ताकि एक प्राणी पर दो वृक्ष काटने से बचाए जा सकें।

इस सम्बंध में राजस्थान विश्वविद्यालय से वनस्पति शास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. आर.डी. अग्रवाल का कहना है कि एक पेड़ से 25 वर्षो में लगभग 3 से 4 क्विंटल लकड़ी मिलती हैं, जबकि एक शव दहन पर इससे अधिक लकड़ी की आवश्यकता होती है। शवदाह गृहों में एलपीजी के उपयोग से दाह संस्कार में लकड़ी के उपयोग को सीमित किया जा सकता है। लकड़ी से जहाँ 8-9 हजार का खर्चा होता है, वहीं इसका व्यय काफी कम है। जैसे जैसे लोगों को इसके बारे में पता चल रहा है, इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है।

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