ओटीटी कंटेंट
शुभम वैष्णव
दुनिया भर में ओटीटी कंटेंट सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। भारत के लोग भी ओटीटी के मकड़जाल में फंस रहे हैं। वैसे तो ओटीटी का अर्थ ओवर द टॉप कंटेंट है, लेकिन ओटीटी पर प्रदर्शित मारधाड़, अश्लीलता व गालियों की बाढ़ को देखकर लगता है कि ओटीटी का सही नाम ओवर द ट्रैक कंटेंट होना चाहिए। ओटीटी की गाड़ी बिना ब्रेक व बिना ट्रैक की है जो समाज की कोमल पौध रूपी सोच को रौंद रही है। वैसे फिल्मों पर सेंसर का नियम है, परंतु ओटीटी बिना लाइसेंस और बिना सेंसर के अश्लीलता की गंदगी परोस रहा है। जैसे दूषित भोजन से लोगों का पेट खराब हो जाता है उसी तरह दूषित सिनेमा से लोगों का चरित्र, मन व मस्तिष्क भी दूषित हो रहा है। ओटीटी के सड़े हुए बर्गर जैसे कंटेंट को प्रभावी बनाने के लिए विकृत संवादों, असभ्य दृश्यों और धर्म का मजाक उड़ाने वाले मसाले का तड़का लगाया जाता है। मनोरंजन के नाम पर कीचड़ फैलाने से आज की युवा पीढ़ी और उसका भविष्य उसी कीचड़ के दलदल में फंसता जा रहा है।असभ्य व विकृत सिनेमा का आकर्षण समाज में अपराधों व कुरीतियों को जन्म दे रहा है। बच्चे क्या देख रहे हैं, अक्सर माता पिता को पता ही नहीं होता। छोटे छोटे बच्चे जिस तरह से ओटीटी फिल्मों में डूबे हुए हैं वह चिंताजनक है।