कंगना रनौत थप्पड़ मामला : कोई पब्लिसिटी तो कोई हित साधने के लिए कर रहा बयानबाजी
कंगना रनौत थप्पड़ मामला : कोई पब्लिसिटी तो कोई हित साधने के लिए कर रहा बयानबाजी
कल तक कुलविंदर कौर को कोई नहीं जानता था, आज यह नाम देश-विदेश में, टीवी, सोशल मीडिया में, हर जगह छाया हुआ है। कुलविंदर कौर मंडी लोकसभा सीट से चुनी गई अभिनेत्री से सांसद बनी कंगना रनौत को थप्पड़ मारने के बाद देश-विदेश में फैले अराजक तत्वों की ‘हीरो’ बन गई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान उसे समर्थन देते नजर आए। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कुलविंदर कौर का पक्ष लेते हुए कंगना को ही दोषी बता दिया। सीएम मान ने कहा कंगना रनौत के पहले दिए गए बयानों के कारण लड़की के मन में गुस्सा था। जिसके चलते उसने ऐसा कदम उठाया।
सीकर के नवनिर्वाचित सांसद सांसद अमराराम ने कुलविंदर कौर की प्रशंसा करते हुए कहा- कुलविंदर ने किसान आंदोलन के खिलाफ बोलने वालों को दिया जवाब, सत्य पराजित नहीं होता जांबाज सिपाही का धन्यवाद!
उन्होंने इस महिला जवान की तुलना बलिदानी भगत सिंह से कर डाली।
संगीतकार विशाल ददलानी ने कहा—’अगर महिला जवान के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है तो मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि अगर वह इसे स्वीकार करना चाहती है तो उसके लिए नौकरी इंतजार कर रही है। जय हिंद। जय जवान। जय किसान।’
इनके अलावा संजय राउत, पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास, किसान नेता राकेश टिकैत और कई सिख संगठनों ने कुलविंदर का समर्थन किया। कुछ तो उसके घर पर जाकर उसे सम्मानित भी कर आए।
9 जून, 2024 को मोहाली में संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा जैसे संगठनों ने कुलविंदर के समर्थन में एक मार्च भी निकाला, जिसमें किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मामले को झूठा सिद्ध करने का प्रयास किया। इन सबने कुलविंदर के समर्थन में कहा कि उसके अंदर गुस्सा था जो बाहर आ गया।
उल्लेखनीय है कंगना रनौत गुरुवार को दिल्ली जाने के लिए चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर चैकिंग पॉइ्ंट पर पहुंचीं तो उन्हें देखते ही कुलविंदर उस चैकिंग पॉइंट पर पहुंच गई और चैकिंग प्रक्रिया के दौरान ही बहस कर कंगना को थप्पड़ मार दिया। कंगना ने मामले की शिकायत दर्ज करवाई तो सीआईएसएफ की इस सुरक्षाकर्मी को पुलिस ने तुरंत हिरासत में ले लिया। बाद में कुलविंदर ने कंगना से मिलकर क्षमा भी मांगी। कुलविंदर का कहना था कि वह किसान आंदोलन के समय कंगना द्वारा महिलाओं पर दिए बयान से नाराज थी। इस पूरे घटनाक्रम को समग्रता से देखा जाए तो हो सकता है कुलविंदर के मन में गुस्सा हो, लेकिन वह गुस्सा व्यक्त करने का ना तो सही स्थान था और ना ही तरीका। कुलविंदर एक सरकारी कर्मचारी, एक वर्दीधारी जवान के रूप में वहॉं तैनात थी। वर्दी में अनुशासित रहने की अपेक्षा की जाती है। कुलविंदर से भी थी। कुलविंदर ने अनुशासन तोड़ा तो सांसद, विधायक जैसे जिम्मेदारों से मामले में राजनीति से परे बयानों की अपेक्षा थी। कुलविंदर द्वारा किए गए कृत्य की निंदा की अपेक्षा थी। क्योंकि यदि गुस्से की ही बात करें तो बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने इंदिरा को इसलिए गोली मार दी क्योंकि वे ऑपरेशन ब्लू स्टार के चलते उनसे गुस्सा थे। गोडसे ने इसलिए गांधी हत्या कर दी क्योंकि वे उनसे विभाजन को लेकर गुस्सा थे। लिट्टे ने इसलिए राजीव गांधी को उड़ा दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि यदि वे 1991 के चुनाव में वापस जीतकर सत्ता में आए तो तमिलों की और दुर्गति होगी। फिर क्या इनके गुस्से का सम्मान नहीं होना चाहिए?
यदि सभी लोग अपनी नाराजगी हिंसक होकर जताने लगेंगे तो क्या देश में अराजकता नहीं आ जाएगी? इस मामले में हो सकता है बयानवीरों को कंगना नापसंद हो, लेकिन अब वह भी सांसद है, सांसद की एक गरिमा होती है, क्या एक जनप्रतिनिधि को दूसरे जनप्रतिनिधि की गरिमा का खयाल नहीं करना चाहिए? क्या कुलविंदर का समर्थन अराजकता को बढ़ावा देने वाला नहीं है?
इस पूरे मामले में फिल्म इंडस्ट्री की चुप्पी पर नवनिर्वाचित सांसद ने एक इंस्टा स्टोरी पोस्ट की। जिसमें उन्होंने लिखा कि “डियर फिल्म इंडस्ट्री, आप सब हमले को सेलीब्रेट कर रहे हैं या फिर इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। उस दिन के लिए तैयार हो जाओ जब यह सब आपके साथ होगा।” हालांकि बाद में उन्होंने इस स्टोरी को डिलीट कर दिया।
सांसद अमराराम के बयान पर फेसबुक पर राजीव सक्सेना ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा कि “सीकर के नवनिर्वाचित सांसद का ऐसा बयान निंदनीय है। एक सांसद दूसरे सांसद पर किए गए कायराना हमले की निंदा की जगह समर्थन कर रहा है। किसान आंदोलन का विरोध मतदान कर प्रत्याशी को हराकर किया जाता है न कि मारपीट कर। इनके इरादों से स्पष्ट है कि सीकर में इनका विरोध करने वालों के साथ इसी प्रकार से मारपीट कर उनका अप्रत्यक्ष समर्थन किया जाएगा। सीकर की जनता के आगामी पांच साल डर और खौफ में बीतेंगे, इसके लिए तैयार रहना चाहिए।”
मनोज पारीक ने लिखा, “ऐसी घटना का सांसद द्वारा समर्थन मेरे तर्क से सही नहीं है। ऐसे तो अराजकता का माहौल हो जाएगा, सबको आजादी दे दो कि कुछ भी करो।”
प्रशासक समिति नाम के हैंडल ने ट्वीट किया, “अभिव्यक्ति की आजादी की बजी बैंड, थप्पड़ कंगना रानौत को नहीं देश की सुरक्षा व्यवस्था को पड़ी। मामला साधारण नहीं क्योंकि थप्पड़ मारने वाला साधारण नहीं बल्कि CISF कांस्टेबल यानी सुरक्षाकर्मी है, जिसने अपनी ड्यूटी भुला दी।”
@askbhupi ने पोस्ट किया,“सोचिए…कोई सुरक्षा कर्मी अपनी किसी खुन्नस की वजह से किसी दिन आपको गोली मार दे.. या फिर चौराहे पर खड़ा सुरक्षाकर्मी आपकी किसी धार्मिक पहचान की वजह से आपको थप्पड़ मार दे? तो क्या आप वैसे ही हंसेंगे, जैसे कंगना पर हंस रहे हो? यह एक गंभीर सुरक्षा का मामला है, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.. ।”