कर्नाटक में कांग्रेस ने सभी मुस्लिमों को दे दिया ओबीसी कोटे में आरक्षण
कर्नाटक में कांग्रेस ने सभी मुस्लिमों को दे दिया ओबीसी कोटे में आरक्षण
कर्नाटक में कांग्रेस ने सभी मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटे में आरक्षण देकर ओबीसी वर्ग के साथ छल किया है। मजहब के आधार पर देश बंटा और अब आरक्षण भी। कांग्रेस के इस निर्णय की आलोचना हो रही है।
क्या है मामला?
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को कर्नाटक में लम्बे समय से ओबीसी आरक्षण कोटे में अनियमितता की शिकायतें मिल रही थीं। 6 महीने पहले आयोग ने मामले की जांच शुरू की तो सामने आया कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुसलमानों को सरकारी नौकरियों, मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश और अनेक सरकारी पदों पर सीमा से अधिक आरक्षण दे रही है। उदाहरण के तौर पर, पिछले वर्ष राज्य के सरकारी पीजी मेडिकल की 930 सीटों में से 150 सीटें यानि लगभग 16% मुसलमानों को आरक्षित कर दी गईं, इनमें वे जातियां भी शामिल हैं, जो आरक्षण के दायरे में नहीं आतीं।
ओबीसी कमीशन के अध्यक्ष का बयान
ओबीसी कमीशन के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा, ‘कर्नाटक में कैटेगरी 1बी और बी2 में कुल 34 मुस्लिम ओबीसी जातियां आती हैं, लेकिन आरक्षण सभी मुस्लिम जातियों को दे दिया गया। हमने पूछा कि 4 प्रतिशत की जगह 16 प्रतिशत आरक्षण कैसे दिया तो उनका कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला।
क्या कहते हैं आंकड़े?
जानकारी के अनुसार कर्नाटक बैकवर्ड क्लास वेल्फेयर डिपार्टमेंट ने जो आँकड़े उपलब्ध कराए हैं, उनमें कर्नाटक में मुस्लिम वर्ग की सभी जातियों को शैक्षिक और सामाजिक रूप पर पिछड़ा माना गया है और उन्हें राज्य की पिछड़ा वर्ग की आईआईबी कैटेगरी लिस्ट में सम्मिलित किया गया है।
2011 की जनगणना के अनुसार कर्नाटक में मुस्लिम जनसंख्या लगभग 12.92 प्रतिशत है। सरकार के निर्णय के बाद एनसीबीसी ने कहा कि इससे स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कर्नाटक में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए स्थानीय निकाय चुनाव में 32 प्रतिशत आरक्षण है। इस आरक्षण को विभिन्न समुदायों में बाँटने की माँग उठ रही है।
मामले में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
कांग्रेस सरकार के इस निर्णय की सोशल मीडिया पर भी भारी आलोचना हो रही है। कुछ यूजर्स का कहना है कि कांग्रेस तो सदैव ही डिवाइड एंड रूल वाले नियम पर चलती आई है। कोई नई बात नहीं है अगर उन्होंने इस प्रकार का निर्णय लिया है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सरकार के इस निर्णय का पिछड़ा वर्ग आयोग ने विरोध किया और कहा कि यह रिजर्वेशन समाजिक न्याय के विरुद्ध है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने भी कर्नाटक सरकार के निर्णय पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार के इस निर्णय से सामाजिक न्याय के सिद्धांत कमजोर होंगे।