एड़ो म्हारो राजस्थान कविता के रचयिता राष्ट्रीय कवि माधव दरक का निधन
- ‘एड़ो म्हारो राजस्थान’ कविता के रचियता राष्ट्रीय कवि माधव दरक का निधन
- राजकीय सम्मान नहीं मिलने की रह गई अंतिम इच्छा
कुंभलगढ़ (राजसमंद), 26 दिसम्बर। ‘मायड़ थारो वो पूत कठे’ एवं ‘एड़ो म्हारो राजस्थान’ जैसी जन-जन की कंठ का गान करने वाली कविताओं के रचियता राष्ट्रीय कवि माधव दरक का शनिवार सुबह 86 वर्ष की उम्र में उनके पैतृक गांव केलवाड़ा (कुंभलगढ़) जिला राजसमंद में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
दरक ने सबसे ज्यादा प्रचलित ‘एड़ो म्हारो राजस्थान’, ‘मायड़ थारो वो पूत कठे’ सहित कई प्रसिद्ध कविताएं लिखीं एवं कई साहित्य भी लिखे। कवि दरक ने अपनी काव्य जीवन यात्रा के दौरान 7 से अधिक गद्य एवं पद्य की पुस्तकें प्रकाशित की, जिनका विमोचन एवं प्रकाशन भामाशाह एवं राज परिवार मेवाड़ उदयपुर की ओर से करवाया गया। उन्होंने विश्व भर में 1800 के लगभग स्थानों पर सार्वजनिक मंचों से कविता पाठ किया। कवि दरक की कविताओं को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित देश के प्रमुख लोगों ने सुना व सराहा। कवि दरक की कविता ‘एड़ो म्हारो राजस्थान’ को राज्य-गीत घोषित किए जाने का प्रयास भी अधूरा ही रहा। लेकिन, देश के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) और देश के प्रसिद्ध एवं मानक समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा कवि माधव दरक को ‘ग्रेट पॉइट ऑफ मेवाड़’ का सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र दिया। लेकिन, दुर्भाग्य है कि मेवाड़ क्षेत्र सहित राजस्थान की इस महान काव्य शख्सियत को आज तक भी किसी भी राज्य सरकार ने जिला स्तर पर भी सम्मान के योग्य नहीं समझा, जिनकी पीड़ा उनके मरते दम तक दिलो-दिमाग में बनी रही और प्राणोत्सर्ग के समय में भी आग्रह करते रहे कि मुझे राज्य सरकारों की ओर से आज तक जिला स्तर पर भी सम्मान के लायक नहीं समझा गया।
कवि दरक ने अपना 7 वर्ष का समय शिक्षक के रूप में एवं शेष समय भगवान शिव की सेवा एवं कविता पाठ में समर्पित किया। कवि माधव दरक की कविताएं हर जन की कंठ का गान बनी रहेंगी और मेवाड़ के इतिहास एवं गौरव की याद दिलाती रहेगी।