कश्मीर : स्वर्ग को नरक बना रहे आतंकी
दिप्ती शर्मा
कश्मीर : स्वर्ग को नरक बना रहे आतंकी
भारत के स्वर्ग कश्मीर में फैलता सुनियोजित आतंक फिर से आम जनता को नुकसान पहुंचाने लगा है। कश्मीर में पिछले छह दशकों से अनुच्छेद 370 के अंतर्गत राज्य को विशेष दर्जा दिया गया था, जिसके अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर भारत की मुख्य धारा से कटा रहा। अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू–कश्मीर राज्य पर भारतीय संविधान की अधिकतर धाराएं लागू नहीं होती थीं। भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू–कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे, न व्यापार के रास्ते आसान थे। भारतीय संविधान की धारा 360 के अंतर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है। यह जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता था। केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम भी जम्मू और कश्मीर लागू नहीं होता था। परिणामस्वरूप हिंसा को बढ़ावा मिलता रहा और कश्मीरी हिन्दू आतंक के शिकार होकर अपनी भूमि छोड़ने को मजबूर होते रहे।
परिस्थितियों को सुधारने व कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘एकदेश, एक विधान, एक प्रधान’ का संकल्प स्वाधीनता के 70 साल बाद पूरा हो पाया है तो अनुच्छेद 370 और 35ए से मुक्ति के बाद धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब देश के बाकी हिस्से के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। ऐतिहासिक आर्थिक व संरचनात्मक बदलाव के उपरांत जम्मू और कश्मीर में नये विकासशील विकल्प निरंतर निर्माण कर ही रहे हैं कि आतंक को पालने पोसने वाले इससे बौखला गये हैं। आतंकियों को अपना अस्तित्व ख़तरे में नज़र आने लगा है, जिससे वह अधिक आक्रामक हो रहे हैं। आतंकियों के निशाने पर अब कश्मीरी हिन्दुओं के साथ ही प्रवासी हिन्दू भी हैं। कश्मीरी मुस्लिमों को डराया जा रहा है ताकि वे इनसे दूरी बनाकर रखें।
अमन एवं विकास के इस नए समय में हर एक भारतीय को धर्म, राज्य से ऊपर उठकर आतंकियों की आतंकी सोच के विरुद्ध आवाज उठानी होगी। साथ ही साथ भारत सरकार से निवेदन है कि वह आतंकवाद के विरुद्ध कड़े से कड़े नियम निर्धारित करे। इन आक्रमणकारियों तक सेना, सरकार, कर्मचारी, जनता की आन्तरिक सूचनाएं जिन भी माध्यमों से पहुंच रही हैं उन पर विचार हो। वर्तमान समय में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए जाएं। भारत का स्वर्ग जम्मू और कश्मीर स्वर्ग ही रहे, फिर से आतंक का गढ़ न बन पाए।