देव दुर्लभ और ध्येय समर्पित कार्यकर्ता जगदीश बैरवा
भारतीय किसान संघ के बारां जिले के सह जिला मंत्री रहे जगदीश बैरवा 17 दिनों तक कोरोना से जंग लड़ते हुए आखिर हार ही गये। वे बारां तहसील के बावन माता की झोपड़ियां नामक ग्राम के निवासी थे।
जगदीश बैरवा प्रत्येक मासिक जिला बैठक में समय से पूर्व ही आ जाते थे और आते ही सफाई, बिछायत, कुर्सियां, झंडा, चित्र, पुष्प, माला, अगरबत्ती, दीपक, जल आदि सभी आवश्यक व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में लग जाते थे। वे बैठक प्रारंभ होने के बाद रजिस्टर में हस्ताक्षर कराने, मिनिट्स लिखने, बीच-बीच में आवश्यक बिंदुओं पर बोलने जैसी सभी जिम्मेदारियां तत्परता से निभाते थे तथा बैठक के बाद सभी व्यवस्थाओं को उसी क्रम और कुशलता से समेट कर सबसे अंत में बैठक स्थान छोड़ते थे।
बैठक में चर्चा के दौरान आए सभी आवश्यक बिंदुओं को किसान संघ के लैटरपैड पर सभी समाचार पत्रों को देना भी इसी क्रम का हिस्सा था। ये सब काम वे बड़ी ही प्रसन्नता, समझ और व्यवस्था कौशल्य से करते थे। अहंकार या नाराजगी, हीनता या प्रधानता जैसे सहज मानवीय अवगुणों से वे बहुत दूर थे।
ऐसे सहज, सरल, हंसमुख, मृदुभाषी और योग्य कार्यकर्ता के बिछड़ने पर पर सभी को आत्मीय दुःख का अनुभव हुआ है।
उनके यहां बैठने गये तो परिवार वालों ने बताया कि उन्होंने अंतिम सांस तक किसान संघ और कार्यकर्ताओं को याद किया, जीवन के अंतिम क्षण तक ध्येय ही दृष्टि रही।
यह आभास होने पर कि अब यह नश्वर शरीर छूटने वाला है, वे अपने परिजनों से कहने लगे थे कि मेरी मृत देह को सफेद नहीं भगवा कपड़े में लपेटना और मेरी अर्थी के सामने भारतीय किसान संघ का झंडा लेकर चलना और मेरे जाने के बाद भी मेरे घर पर हमेशा भारतीय किसान संघ का झंडा रहना चाहिए। मृत्यु के बाद भी ध्येय पथ पर ही चलने की जिद….!
अन्तिम संस्कार के समय परिजनों द्वारा उन सभी बातों को यथा योग्य पूरा किया गया।
उनकी सक्रियता, समझ और क्षेत्र में परिचय को देखते हुए मंडल अध्यक्ष बनाने के लिए और चुनाव लड़ाने के लिए भी पार्टियों ने डोरे डाले, लेकिन उन्होंने यह कहकर सहजता से मना कर दिया कि मेरे पास भारतीय किसान संघ का दायित्व है।
ऐसे अवसर पर बड़े बड़े दायित्व वाले कार्यकर्ता भी बहक जाते हैं किन्तु जगदीश बैरवा को कोई भी प्रलोभन नहीं डिगा पाया। उनके परिवार में एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं, सभी अविवाहित हैं।
भगवान ने कहा है कि ऐसे वीरव्रती कार्यकर्ता को इहलौकिक और पारलौकिक सुख दोनों मिलते हैं। वे मोक्ष के अधिकारी होते हैं। भगवान उन्हें निश्चित ही सद्गति देंगे।
जगदीश जी का कार्य समाज हित में सदैव याद किया जायेगा