कैंसर रोगियों को मिल सकती है कीमोथेरैपी से मुक्ति, नई दवा से जगी आस
देवेंद्र पुरोहित
कैंसर रोगियों को मिल सकती है कीमोथेरैपी से मुक्ति, नई दवा से जगी आस
अमेरिका के मैनहट्टन स्थित मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में हुए ट्रायल से मिले परिणामों ने राहत भरी खबर दी है। अब वह दिन दूर नहीं जब कैंसर (cancer) के रोगी को ऑपरेशन और कीमोथेरेपी जैसी चिकित्सा से नहीं गुजरना होगा। रोगी दवा खाकर ही पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे।
ट्रायल में रोगियों का कैंसर 100 प्रतिशत ठीक हो गया। यह ट्रायल अभी छोटे पैमाने पर किया गया है, लेकिन इससे आशा जगी है कि जल्द ही कैंसर के रोगियों को कीमोथेरेपी या सर्जरी के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा। इस दवा का नाम dostarlimab है। यह दवा रेक्टल कैंसर के 18 रोगियों को दी गई। दवा से कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया।
कैंसर की नई दवा ने दुनियाभर के लाखों लोगों को नई आस दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग हर छह में से एक मौत कैंसर के चलते होती है। 2020 में ब्रेस्ट कैंसर के सबसे अधिक रोगी (226 लाख) मिले। इसके बाद लंग कैंसर (221 लाख) और कोलन व रेक्टम कैंसर के रोगियों (1.93 लाख) की संख्या थी। अगर आगे बड़े पैमाने पर होने वाले ट्रायल में सफलता मिलती है तो यह कैंसर फ्री दुनिया की ओर कदम हो सकता है।
इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित एक पेपर में मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉ. लुइस ए डियाज जूनियर ने कहा कि उन्हें किसी अन्य अध्ययन के बारे में पता नहीं था, जिसमें एक इलाज ने हर रोगी में कैंसर को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। मेरा मानना है कि कैंसर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
वहीं, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सेन फ्रांसिस्को में कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञ एलन पी वेनुक (जो अध्ययन करने वाली टीम का हिस्सा नहीं थे) ने भी कहा कि पहली बार यह सफलता मिली है। हमने पहले ऐसा नहीं सुना था कि किसी दवा से सभी रोगियों का कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया।
भारत के कैंसर विशेषज्ञों का कहना है, ‘अभी यह स्टडी सिर्फ 18 लोगों पर हुई है। कम से कम 100 रोगियों पर इसका ट्रायल किया जाए। तभी डोस्टारलिमैब के इलाज को शुरू किया जा सकता है। डॉक्टर विनय व्यास (MD DM oncology Gold medalist) ने कहा कि रेक्टल कैंसर बड़ी आंत और मलाशय के रास्ते का कैंसर है। नए इलाज को बड़ी स्टडी के बाद ही अपनाया जाना चाहिए। यह मेडिकल की दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
डॉ. व्यास बताते हैं कि रेक्टल कैंसर कुछ लोगों में जेनेटिक बदलाव के कारण होता है तो कुछ में लाइफ स्टाइल के कारण से। यह ऐसा कैंसर है जो सेल के जीन में बदलाव कर सकता है, जिसकी वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम इसे नॉर्मल सेल समझने लगता है, जबकि वह कैंसर सेल होता है। इससे कैंसर बढ़ने लगता है। सामान्य भाषा में समझें तो यह दवा (डोस्टारलिमैब) कैंसर सेल के जेनेटिक बदलाव का खुलासा कर देती है। यह एक प्रकार की इम्यूनोथिरेपी की दवा है। खुलासे के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम कैंसर सेल को पहचान लेता है और उसे मार देता है।