मेरी कुंभ यात्रा, एक अविस्मरणीय अनुभव – राजेश कुंटे
राजेश कुंटे
मैं आज ही हरिद्वार से लौटा हूँ। 12 अप्रैल को उत्तराखंड पहुँचा तो जाना कि कुंभ में जाने के लिये वहां आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य था। कुंभ के लिये ऑनलाईन पंजीकरण एवं आरटी-पीसीआर रिपोर्ट एवं मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य किया गया था।
देहरादून हवाई अड्डे पर हमारी नेगेटिव रिपोर्ट देखकर ही हमें आगे जाने की अनुमति दी गई। कैब से हरिद्वार निकले तो नेपाली फार्म चौक तक ही हमारी गाड़ी जा सकी। इसके आगे प्राइवेट वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई थी। वहां एक बार फिर हमारे सभी कागज देखे गए और शासकीय बस से हरिद्वार के मोतीचूर बस स्टैंड तक ले जाया गया। होटल में चेक-इन करते समय भी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट देखी गई। 12 अप्रैल से 15 अप्रैल तक हरिद्वार में प्राइवेट ट्रांस्पोर्टेशन बंद था।
14 को बैसाखी के दिन हम जूना अखाड़ा के साधु-संतों के साथ शोभायात्रा में सहभागी हुए और शाही स्नान के लिये हर की पौड़ी के प्रसिद्ध घाट पर गए। पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर, महंतों के रथ, उनके आगे नागा साधु, भक्तगण, ऐसा क्रम था। पूर्व नियोजित समय पर यह घाट पर पहुँचा। हर एक अखाड़े को स्नान के लिये निश्चित समय दिया गया था। इस काल में ही जूना अखाड़ा का स्नान हुआ और घाट तुरंत खाली कर दिया गया।
कोई भी नागरिक घाट पर ना रहे, इसके लिये पुलिस द्वारा अच्छी रचना लगाई गई थी। कुछ ही समय में उन्होंने घाट खाली करवा लिया। अगले अखाड़े के साधु आने से पहले पूरा घाट धुलवाया गया एवं सेनेटाइज भी किया गया। अन्य परिसर, रास्ते साफ किये गए। अत्यंत तीव्रगति से, लगभग 10-15 मिनटों में यह सब काम पूरा हुआ। प्रशासन को इतना अनुशासनपूर्वक और तीव्र गति से काम करते देख हमें आश्चर्य हुआ। हम स्नान करके बाजार में गए। बाजार में पहुंचने से पहले हमारे बैग्स, थैलियाँ सेनेटाइज की गईं। मास्क के बारे में पुलिस आग्रह व जागरण कर रही थी।
कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रशासन द्वारा आवश्यक सभी सावधानी रखी जा रही थी। एक अखाड़े के 25-30 साधु पॉजिटिव होने की सूचना थी, हरिद्वार में एक ही दिन में 70-80 लोग पॉजिटिव होने की खबर थी। मुंबई, पूना, नासिक की तुलना में ये आँकड़े बहुत कम थे।
कोरोना से संबंधित सभी सावधानियां रखकर ऋषिकेश में स्कूल शुरू थे। कुंभ की पूरी व्यवस्था, अनुशासन, स्वच्छता सराहनीय थी। स्थानीय नागरिकों के अनुसार इस वर्ष 50 प्रतिशत लोग ही आए थे।
16 अप्रैल को हम देहरादून से हवाईजहाज द्वारा मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 पर उतरे। परंतु, आरटी-पीसीआर रिपोर्ट चेक करने के लिये वहाँ कोई उपस्थित नहीं था। किसी भी यात्री की रिपोर्ट नहीं देखी गई। मुंबई में कोरोना का कहर है। ऐसे में हवाईजहाज से आने वाले यात्रियों की रिपोर्ट न देखना आश्चर्यकारक लगा….।