हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार वि.वि. के कुलपति ओम थानवी पर दोहरे प्रश्नचिह्न

हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार वि.वि. के कुलपति ओम थानवी पर दोहरे प्रश्नचिह्न

हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार वि.वि. के कुलपति ओम थानवी पर दोहरे प्रश्नचिह्न

हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी पर दोहरे प्रश्नचिह्न लग गए हैं। एक ओर राजस्थान उच्च न्यायालय ने थानवी की नियुक्ति पर राज्य सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा विश्वविद्यालय सहित कुलपति को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है, वहीं राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

राज्य सरकार द्वारा नियमों को ताक पर रखकर की गई ओम थानवी की नियुक्ति अब उनके गले पड़ती नजर आ रही है।राजस्थान उच्च न्यायालय में पंकज प्रताप द्वारा जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कुलपति के रूप में ओम थानवी की नियुक्ति को चुनौती देते हुए राज्य सरकार के इस आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि यूजीसी के नियमानुसार वर्तमान कुलपति ओम थानवी के पास पीएचडी नहीं है और न ही 10 वर्ष प्रोफेसर पद का अनुभव है। अतः कुलपति के रूप में उनकी नियुक्ति अनुचित है। इस पर न्यायमूर्ति मणीन्द्र मोहन श्रीवास्तव तथा न्यायमूर्ति बिरेंद्र कुमार की पीठ ने नोटिस जारी किया है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा 2010 में जारी निर्देशों के अनुसार कुलपति पद पर चयनित होने के लिए व्यक्ति को न्यूनतम 10 वर्ष प्रोफेसर पद पर कार्य का अनुभव होना अनिवार्य है। वह प्रतिष्ठित शिक्षाविद हो अथवा पीएचडी उपाधि प्राप्त हो। उसके 10 शोध पत्र /10 पुस्तकें प्रकाशित हों। वय 70 वर्ष से कम हो। इसके अतिरिक्त सरकार में सचिव स्तर अथवा समान पे-बेंड का अधिकारी भी कुलपति बनने की योग्यता रखता है।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर ओम थानवी की उपलब्धियों के रूप में पत्रकारिता एवं संपादन का 44 वर्ष से अधिक का अनुभव गिनाया गया है। इसमें लिखा है कि उन्होंने कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियों में भाग लिया है तथा 2003 में माननीय राष्ट्रपति द्वारा उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। किंतु इनमें से कोई बिंदु विश्वविद्यालय कुलपति होने की अर्हता को पूरा नहीं करता है।

हरिदेव जोशी पत्रकारिता व जनसंचार विश्वविद्यालय की स्थापना अशोक गहलोत सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के समय 2012 में की थी, किंतु भाजपा सरकार ने 2015 में छात्रों की न्यून संख्या को देखते हुए इसका विलय राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र में कर दिया था। 2019 में पुनः गहलोत सरकार ने हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना कर ओम थानवी को विश्‍वविद्यालय का कुलपति बना दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय में राजनीतिक पक्षपात आधारित नियुक्तियों की चर्चा आम हो गई। ओम थानवी के पत्रकारिता में रहते हुए ही उनका झुकाव कांग्रेस की ओर माना जाता था। विशेषतः अशोक गहलोत से उनकी घनिष्ठता जगजाहिर रही। कुलपति पद पर होकर भी उनके राजनीति से जुड़े ट्वीट्स व टिप्पणियां विवाद का विषय रहे।

ओम थानवी का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त होने जा रहा है। विश्वविद्यालयों में पक्षपातपूर्ण निर्णय न हों इसके लिए परंपरा है कि कुलपति अपने कार्यकाल के अंतिम तीन महीनों में नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे अथवा नियुक्तियां नहीं करेंगे। ऐसे में हरिदेव जोशी विश्वविद्यालय में थानवी द्वारा हाल ही में शिक्षकों की नियुक्तियां तथा नीतिगत निर्णय नैतिकता के मानदंडों पर खरे नहीं उतर रहे थे।

इस विषय में भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर बताया था कि ओम थानवी नियम विरुद्ध नियुक्तियाँ करने पर तुले हुए हैं, जिस पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की सख्त आवश्यकता है।

कार्यकाल के अंतिम महीनों में भी पक्षपातपूर्ण नियुक्तियों का क्रम नहीं रुकने पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इस संबंध में राज्यपाल के प्रमुख सचिव द्वारा 1 फरवरी 2022 को भर्ती प्रक्रिया स्थगित करते हुए परिपत्र जारी कर कहा गया- “यह संज्ञान में आया है कि कतिपय कुलपतिगण जिनका कार्यकाल अल्पावधि का शेष रह जाता है, उनके द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं जो प्रशासनिक दृष्टि से उचित नहीं हैं। अतः इस संबंध में माननीय राज्यपाल तस्थ कुलाधिपति महोदय द्वारा निर्देश प्रदान किए गए हैं कि राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण अपने कार्यकाल के अंतिम 03 महीनों में कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे।”

राज्यपाल का आदेश, सेवानिवृत्ति से तीन माह पहले कुलपति नहीं ले सकेंगे नीतिगत निर्णय

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