एक शिक्षक, जिन्होंने हिंदू जागरण मंच की सहायता से 70 से अधिक कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार किया
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उदयपुर, 8 जून। राजस्थान के उदयपुर में एक शिक्षक कोविड महामारी के कष्टदायी काल में उन परिवारों के लिए परिवार का सदस्य बन गया जो परिस्थितियों से पीड़ित होकर अपनों का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए, यहां तक कि अंतिम दर्शन करना भी उनके लिए संभव नहीं हो सका। शिक्षक की पहल पर हिन्दू जागरण मंच में सक्रिय उनके सेवाभावी मित्र आगे आए और इन सब ने मिलकर न केवल कोविड संक्रमण से काल का ग्रास बने मृतकों का अंतिम संस्कार किया बल्कि परिवार के लिए इसका सीधा प्रसारण भी किया, ताकि वे अंतिम दर्शन कर सन्तुष्ट हो सकें। गत वर्ष 1 अप्रैल 2020 से प्रारम्भ किए इस पुनीत कार्य में आज तक वे 70 से अधिक दिवंगतों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
शिक्षक किशन सोनी स्कूल में शारीरिक शिक्षक हैं। वे बताते हैं कि पिछले वर्ष अप्रैल में निम्बाहेड़ा के एक कोविड मरीज की उदयपुर में मृत्यु हो गई थी। मृतक के परिवार के सदस्य भी संक्रमित थे और उनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था। सोनी ने बताया कि मृतक उनकी बिरादरी से थे, वे समाज के पदाधिकारी भी हैं, ऐसे में चिकित्सालय से भी उनके पास कॉल आया था। वे अंतर्द्वन्द्व की स्थिति में थे, क्योंकि कई भ्रांतियाँ थीं और उनका परिवार भी आशंकित था, लेकिन उन्होंने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अंतिम संस्कार किया। इसके बाद उन्होंने इस सेवा को निरन्तर जारी रखने का निश्चय किया। इस तरह की स्थिति किसी भी परिवार के साथ हो सकती है और यह आशंका सही साबित हुई। उन्होंने कोविड प्रोटोकॉल के साथ उदयपुर के अशोक नगर मोक्षधाम में यह सेवा नियमित रखी।
उन्होंने बताया कि उन्होंने उदयपुर संभाग के विभिन्न जिलों सहित बिहार के बक्सर जिले के युवक, लखनऊ के गोरखपुर जिले के युवक सहित 7 जून 2021 तक 70 से अधिक अंतिम संस्कार करवाए हैं। बिहार से बैंकॉक तक परिजनों ने अपने परिवार के मृतकों की अंतिम संस्कार प्रक्रिया के ऑनलाइन दर्शन किए।
उन्होंने बताया कि बिहार से यहां उपचार के लिए आए दंपती में से पति की मृत्यु हो गई। पत्नी ने अपने परिवार के सदस्यों को फोन किया, लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई नहीं आ सका। उसने तीन दिन तक प्रतीक्षा की और फिर उन्हें फोन किया और फोन आते ही किशन ने साथियों सहित उनका सहयोग किया।
किशन सोनी के पास सोशल मीडिया के माध्यम से पता चलता अथवा कोई कॉल करके बताता। जब कोई उनसे संपर्क करता है, तो वह पहले यह सुनिश्चित करते हैं कि मृतक के परिवार से कोई अंतिम संस्कार करने के लिए वास्तव में नहीं है, और उसके बाद ही वह जिम्मेदारी लेते हैं। सोनी कहते हैं, पिछला डेढ़ महीना बहुत व्यस्त था। हमने जो अंतिम संस्कार किए हैं उनमें से आधे पिछले दिनों में थे और कभी-कभी हमें एक दिन में 3-4 शवों का भी अंतिम संस्कार करना पड़ता था। इस स्थिति ने उन्हें भी झकझोर कर रख दिया।
सोनी ने बताया कि इस कार्य में वर्ष भर से हिन्दू जागरण मंच उदयपुर के कार्यकर्ता सतीश शर्मा, हेमन्त सोनी, देवेंद्र सिंह चूंडावत, रविकान्त त्रिपाठी, जयवीर सिंह चौहान एवं स्थानीय कर्मचारी नन्दू का सहयोग मिल रहा है। गत एक माह से नगर निगम उदयपुर से स्वच्छताकर्मी, वाल्मीकि समाज के युवा भी सेवाएं दे रहे हैं। अब नगर निगम से लकड़ियां भी निशुल्क मिलने लगी हैं जिससे उन्हें भी सहारा मिला है। अन्य साम्रगी जैसे घी, राल, कपूर, नारियल, चंदन आदि की व्यवस्था एक बार वे स्वयं कर देते हैं, फिर सम्बन्धित परिवार स्वेच्छा से यदि देना चाहता है तो ले लेते हैं, किसी से कुछ मांगते नहीं।
सेना से सेवानिवृत्त मेजर दुर्गादास चूंडावत के बड़े भाई गजेंद्र सिंह चूंडावत का कोरोना से देहावसान होने पर उनका भी अंतिम संस्कार हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं व किशन ने किया। मेजर दुर्गादास ने इन सभी के प्रति अपनी भावनाएं ट्वीट्स के माध्यम से व्यक्त कीं।
एक अध्यापक होते हुये अच्छा काम किया इनको देख कर आम आदमी को सीखना चाहिए ऐसे वीरो को मेरी तरफ से सलाम
Great and ideal work by kishan ji proud moment again for “शिक्षक समाज “